Adsense

#JaunpurLive : मैं भारत की आन—बान—सम्मान की खातिर जिन्दा हूं...



संरक्षक वीरसेन स्मृति कवि सम्मेलन एवं मुशायरा सम्पन्न
 जौनपुर। साहित्यिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक अपूर्वा भारती संस्था के तत्वावधान में वीरसेन सिंह वीर एडवोकेट की पुण्यस्मृति में इंग्लिश क्लब (जौनपुर क्लब) के प्रांगण में अखिल भारतीय कवि सम्मेलन एवं मुशायरे का आयोजन हुआ। कार्यक्रम का शुभारंभ मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण करते हुये दीप प्रज्वलन एवं पुष्प अर्चन से हुआ| कार्यक्रम के मुख्य अतिथि समाजसेवी ज्ञान प्रकाश सिंह थे। प्रथम चक्र का संचालन वरिष्ठ साहित्यकार सभाजीत द्विवेदी "प्रखर' ने किया। विशिष्ट अतिथि दीवानी बार अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष जितेंद्र नाथ उपाध्याय थे।
इस दौरान डॉ. आशुतोष उपाध्याय द्वारा रचित काव्य संग्रह "गई जवानी मैं लिखता हूं, नई जवानी तू भी लिख" का अतिथियों और साहित्यकारों ने विमोचन किया। संस्थाध्यक्ष डॉ. अशोक सिंह ने कवियों, अतिथियों एवं श्रोताओं का स्वागत किया। सभी अतिथियों एवं साहित्यकारों को अंगवस्त्रम एवं माल्यार्पण करके संस्था की ओर से सम्मानित किया गया।


कवि सम्मेलन एवं मुशायरे का शुभारंभ डॉ. प्रियंका राय की सरस्वती वंदना से हुआ जहां उन्होंने कहा कि "मैं भारत की आन बान सम्मान की खातिर जिंदा हूं, मुरझाये चेहरों पर मैं मुस्कान की खातिर जिंदा हूं, जीते होंगे लोग यहां धन दौलत शोहरत की खातिर, सच कहती हूं मैं हिंदुस्तान की खातिर जिंदा हूं,,।
"फलक सुल्तानपुरी ने कहा कि "हया की वादियों में शर्म के आंगन में रहती हूं, मैं उर्दू हूं सदा तहजीब के दामन में रहती हूं"। धौलपुर (राजस्थान) से पधारे राम बाबू सिकरवार ने कहा "जो वतन के खातिर मिटे उनको सलाम है, जांबाज सैनिकों को कोटिशः प्रणाम है, आतंकवादियों को घर में घुसकर मारकर, दुनिया को बता दिया ये हिंदुस्तान है'। डॉ संजय सिंह सागर ने श्रृंगार गीत पढ़ा— "मैं वहीं पर थक हुआ तुमको मिल जाऊंगा, जिस जगह तुम गए थे हमें छोड़कर। राजस्थान (टोंक) से पधारे कवि महेश डांगरा ने सरकारी दफ्तरों की व्यवस्था पर गहरी चोट की। उन्होंने कहा कि "दफ्तरों में फाइलें अटकी पड़ी उत्थान की, बाबुओं ने ईंट तक छोड़ी नहीं शमशान की,।
प्रीति पांडेय प्रतापगढ़ ने उत्कृष्ट श्रृंगार गीत पढ़ा— मन की सरहद में घूम लेती हूं, इन हवाओं में झूम लेती हूं, याद जब भी तुम्हारी आती है,  मैं तिरंगे को चूम लेती हूं। कवि सम्मेलन और मुशायरे के संचालक अमित शुक्ला रीवां राजस्थान ने पढ़ा कि "रोज नई सुंदरी जो बूढ़ों से ब्याह करें, नहीं ऐसा कोई छलछंद होना चाहिए, बाल विवाह जैसी कुप्रथा तो बंद हो गई, वृद्ध ब्याह भी तो अब बंद होना चाहिए। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि समाजसेवी ज्ञान प्रकाश सिंह ने कई मार्मिक और भाव प्रधान रचनाएं पढ़ीं। सभाजीत द्विवेदी ने अंत में अध्यक्षीय काव्य पाठ किया।
इस अवसर पर जिलाधिकारी रविंद्र कुमार मांदड़, संरक्षक ओंकार नाथ गिरी, फूलचंद तिवारी, संकठा प्रसाद पांडेय, दिनेश शर्मा, ओम प्रकाश दुबे, उमाकांत गिरी, दया नरायन सिंह, जय प्रकाश सिंह, प्रेम प्रकाश मिश्र, राना राकेश सिंह, विजय प्रकाश मिश्र, सत्येंद्र पांडेय, विकेश उपाध्याय, रामाशीष पांडेय, डॉ. सरोज उपाध्याय, राधिका सिंह, हरिनाथ शुक्ला, रामसरन प्रजापति, पांचू राम, विनोद राय आदि उपस्थित थे।
कार्यक्रम संयोजक/मंत्री राधेश्याम पांडेय ने सभी कवियों, अतिथियों और श्रोता समूह का आभार व्यक्त किया। पूर्व संरक्षक वीरसेन सिंह वीर के निधन पर 2 मिनट मौन रखकर श्रद्धांजलि अर्पित की गई| कवि सम्मेलन देर रात तक निर्वाध गति से चलता रहा जहां सफलता की ऊंचाइयों को स्पर्श किया।

Post a Comment

0 Comments