साफ-सफाई कर शुरू की पूजा
फैज अंसारी
गौराबादशाहपुर, जौनपुर। गौराबादशाहपुर थाना क्षेत्र के नयनसंड गांव के खेतों के साइड में वीरान पड़ा एक मंदिर जैसी आकृति ग्रामीणों की नजर पड़ने से वहां पर जाकर देखने से पता चला कि यहां एक पुराना जीर्ण हालत में मंदिर जैसी आकृति का ढांचा बना हुआ मिला। इसकी सूचना तत्काल नगर पंचायत गौराबादशाहपुर को दी गई अधिशासी अधिकारी के निर्देश पर जेसीबी के साथ पहुंची सफाई टीम ने जब वहां पर सफाई करवाई तो एक हनुमान मंदिर जीर्ण अवस्था में मिला।
ग्रामीणों के अनुसार गांव के बाहर बहुत पहले एक पंचायत भवन बना था जो की खंडहर हो चुका था उसी के बगल में एक गुंबदनुमा आकृति थी लेकिन कभी किसी ने उसे पर ध्यान नहीं दिया। आज कुछ बच्चे खेलते हुए जब घास फूस हटाकर देखें तो उन्हें वह मंदिर जैसा प्रतीत हुआ, जिस पर उन्होंने ग्रामीणों को सूचना दी। ग्रामीणों की सूचना पर जब नगर पंचायत की टीम वहां पहुंची तो छानबीन में पता चला कि 1990 में गांव की कोई धनरा देवी थी जिन्होंने इस मंदिर का निर्माण शुरू कराया था तथा वहां हनुमान की प्रतिमा भी दीवार में लगाई गई थी लेकिन किन्हीं कारणवश यह मंदिर पूर्ण नहीं हो पाया तथा धनरा देवी का देहांत हो गया। समय के साथ वहां पर घास फूस उगता गया तथा वह मंदिर झाड झंखाड़ में ढक गया था। अधिशासी अधिकारी शशिकांत तिवारी ने बताया कि उक्त परिसर के आसपास टीम लगाकर सफाई करवाई गई है। ग्रामीणों ने श्रद्धा से वहां पर पूजा भी की है।
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गौराबादशाहपुर, जौनपुर। गौराबादशाहपुर थाना क्षेत्र के नयनसंड गांव के खेतों के साइड में वीरान पड़ा एक मंदिर जैसी आकृति ग्रामीणों की नजर पड़ने से वहां पर जाकर देखने से पता चला कि यहां एक पुराना जीर्ण हालत में मंदिर जैसी आकृति का ढांचा बना हुआ मिला। इसकी सूचना तत्काल नगर पंचायत गौराबादशाहपुर को दी गई अधिशासी अधिकारी के निर्देश पर जेसीबी के साथ पहुंची सफाई टीम ने जब वहां पर सफाई करवाई तो एक हनुमान मंदिर जीर्ण अवस्था में मिला।
ग्रामीणों के अनुसार गांव के बाहर बहुत पहले एक पंचायत भवन बना था जो की खंडहर हो चुका था उसी के बगल में एक गुंबदनुमा आकृति थी लेकिन कभी किसी ने उसे पर ध्यान नहीं दिया। आज कुछ बच्चे खेलते हुए जब घास फूस हटाकर देखें तो उन्हें वह मंदिर जैसा प्रतीत हुआ, जिस पर उन्होंने ग्रामीणों को सूचना दी। ग्रामीणों की सूचना पर जब नगर पंचायत की टीम वहां पहुंची तो छानबीन में पता चला कि 1990 में गांव की कोई धनरा देवी थी जिन्होंने इस मंदिर का निर्माण शुरू कराया था तथा वहां हनुमान की प्रतिमा भी दीवार में लगाई गई थी लेकिन किन्हीं कारणवश यह मंदिर पूर्ण नहीं हो पाया तथा धनरा देवी का देहांत हो गया। समय के साथ वहां पर घास फूस उगता गया तथा वह मंदिर झाड झंखाड़ में ढक गया था। अधिशासी अधिकारी शशिकांत तिवारी ने बताया कि उक्त परिसर के आसपास टीम लगाकर सफाई करवाई गई है। ग्रामीणों ने श्रद्धा से वहां पर पूजा भी की है।
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