जौनपुर। बलराम इंटर कालेज कलीचाबाद में शनिवार को इंटरमीडिएट के छात्र-छात्राओं के साथ एक संवाद का आयोजन हुआ। इस संवाद का मुख्य विषय भारतीय संविधान का पहला शब्द 'हम भारत के लोग' और समाज में व्याप्त पितृसत्ता का प्रभाव था। संवाद का संचालन सौहार्द साथी प्रकाश यादव एवं आनंददेव ने संयुक्त रूप से किया।
इस मौके पर प्रकाश यादव ने छात्रों से प्रश्न किया कि वे 'हम भारत के लोग' शब्दों से क्या समझते हैं। छात्रों ने विभिन्न दृष्टिकोणों से अपने विचार व्यक्त किए। प्रकाश यादव ने स्पष्ट किया कि इन शब्दों का अर्थ है, 'भारत के सभी नागरिक, जो जाति, धर्म, सम्प्रदाय, या क्षेत्र के आधार पर किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं करते।' यह भारतीय संविधान के मूल सिद्धांतों की नींव है जिसमें देश के हर व्यक्ति को समान अधिकार और सम्मान देने की बात की गई है।
इस दौरान छात्र-छात्राओं के बीच पितृसत्ता पर भी चर्चा हुई। संवाद में यह निष्कर्ष सामने आया कि पितृसत्ता केवल महिलाओं के अधिकारों और स्वतंत्रता को बाधित नहीं करती, बल्कि पुरुषों को भी मानसिक और सामाजिक दबावों का शिकार बनाती है। यह विचार उभरा कि पितृसत्ता के चलते पुरुषों को अपनी भावनाओं को दबाना पड़ता है और समाज द्वारा तय की गई रूढ़ियों का पालन करने के लिए मजबूर किया जाता है।
इस संवाद में छात्र-छात्राओं ने अपने विचारों और अनुभवों को खुलकर साझा किया। आनंद देव ने बताया कि संविधान के 'हम भारत के लोग' शब्द सिर्फ एक वाक्य नहीं, बल्कि देश को जोड़ने वाला सूत्र है। यह हमें समानता, भाईचारे और न्याय का मार्ग दिखाता है।
अंत में छात्रों ने इन विषयों पर विचार करते हुए समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का संकल्प लिया। यह संवाद छात्रों के लिए न केवल ज्ञानवर्धक था, बल्कि उनके भीतर संविधान और सामाजिक न्याय के प्रति जागरूकता भी जगाने में सफल रहा।
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