तेजीबाजार, जौनपुर। क्षेत्र के केटली ग्राम सभा में नंदलाल मोदनवाल द्वारा आयोजित नौ दिवसीय कथा में अयोध्या धाम से पधारे व्यास स्वामी निर्मल शरण जी महाराज ने कथा के दौरान छठवें दिन सीता स्वयंवर की कथा सुनाते हुए कहा कि राजा जनक ने सीता स्वयंवर का आयोजन किया जिसमें उन्होंने अपने दरबार में भगवान शिव का धनुष रखा और शर्त रखी कि जो इस धनुष को उठाएगा। उसके साथ वह अपनी पुत्री सीता का विवाह करेंगे। समारोह वाले दिन दूर-दराज से राजा-महाराजा स्वयंवर में शामिल होने के लिए पहुंचे। कोई भी शिव धनुष को नहीं उठा सका। ऐसे में राजा जनक हताश हो गए और उन्होंने कहा कि क्या कोई मेरी पुत्री के योग्य नहीं है? तब महर्षि वशिष्ठ ने भगवान राम को शिव धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ाने के लिए कहा। गुरु की आज्ञा का पालन करते हुए भगवान श्रीराम शिव धनुष की प्रत्यंचा चढ़ाने लगे और धनुष टूट गया। इस प्रकार सीता का विवाह श्रीराम के साथ हुआ। श्रीराम और सीता के विवाह की अद्भुत झांकी व विवाह गीत पर महिला पुरुष श्रद्धालु झूम उठे। मंगल आरती में प्रभु राम सीता का मुख्य यजमान ने पांव पूजन कर आशीर्वाद लिया। इस मौके पर आयोजन समिति द्वारा प्रसाद वितरण किया गया।
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