दिल्ली से आये मौलाना सैयद कमर हसनैन ने पहले दिन की तीसरी मजलिस को संबोधित करते हुए कहा कि मानवता को बचाने के लिए शहजादी फातिमा के शब्दों को विस्तार से बताया। साथ ही कहा कि शहजादी फातमा ने कहा जिसके पास बुद्धि नहीं उसका कोई धर्म नहीं। इस्लाम से पहले के युग में ज्ञान और तर्क का विरोध था, हर जगह अज्ञानता का अंधकार था, मानवता अज्ञानता की चक्की में पिस रही थी, उस समय के लोगों ने तर्क को अपना सबसे बड़ा दुश्मन घोषित कर दिया था, इसीलिए वे लड़कियों को जिंदा दफना देते थे, इसीलिए शहजादी फातिमा ने पहले ही घोषणा कर दी है कि इस्लाम बेवाकूफों और मूर्खों का धर्म नहीं है।
इस्लाम बुद्धिजीवियों का धर्म है। मनुष्य में सभी गुण बुद्धि पर आधारित हैं, सभी अच्छाइयाँ बुद्धि के कारण हैं, इसीलिए कुरान भी बुद्धि और ज्ञान की बात करता है। जब कोई व्यक्ति धर्म को समझे बिना धार्मिक बन जाता है या धार्मिक बनने की कोशिश करता है तो परिणामस्वरूप वह व्यक्ति या तो आतंकवादी बन जाता है या अख़बारी या मलंगी बन जाता है। जब वह आतंकवादी बन जाएगा तो हत्या करेगा, बस्तियां नष्ट करेगा और मानवता का खून करेगा।
जब अखबारी और मलंगी बनेगा तो अजीब सी हरकत करेगा और लोगों को भी और खुद को भी मूर्ख बनाएंगे और धर्म का मजाक उड़ाएगा, इसीलिए इस्लाम इन चीजों की इजाजत नहीं देता है और यही बात पैगम्बर मोहम्मद साहब की इकलौती बेटी शहजादी फातिमा ने सभी इंसानों से कहा। आप सभी तर्क का इस्तेमाल करो और जब तर्क होगा तो इंसानों को सच्चाई और सही का पता चल जाएगा अन्यथा बिना तर्क के धर्म अधूरा है।
इस संबंध में कार्यक्रम संयोजक और मदरसा इमानिया नासिरिया के प्रधानाचार्य मौलाना महफूज़ूल हसन खान ने कहा कि यह कार्यक्रम लगभग बीस वर्षो पुराना है और इसमें जौनपुर शहर और जौनपुर के बाहर के शिया मुसलमान बहुत ज्यादा संख्या में भाग लेते हैं।
कार्यक्रम का संचालन मौला सैयद आबिद रजा ने किया। इस अवसर पर मदरसा प्रबंधक अहमद जहां खान एडवोकेट, मौलाना मुहम्मद मुस्तफा इस्लामी, मौलाना फजल अब्बास, मौलाना मुहम्मद जाफर, मौलाना मोहम्मद यूसुफ खान, मौलाना नजफ अली, मौलाना मुबाशेर हुसैन, मौलाना उरूज हैदर, शोएब जैदी, मिशकुरुल हसन शाजान तमाम लोग मौजूद रहे।
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