कुटीर संस्थान में श्री गीता जयंती का आयोजन
जलालपुर, जौनपुर। 88वां कुटीर संस्थान संस्थापन दिवस एवं श्री गीता जयंती समारोह कुटीर संस्थान, संस्थापक सभागार में समस्त शैक्षिक इकाईयों द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित हुआ। योगीराज श्रीकृष्ण के गीत विज्ञानमय गीता पर संगीतमय उद्बोधन में प्रवचनकर्ता श्रीश्री 1008 श्रीमद् जगद्गुरू रामानुजाचार्य स्वामी श्री हरिप्रपन्नाचार्य जी महाराज (हरिहरानंद) राज राजेश्वरी शक्ति पीठाधीश्वर चक्र सुदर्शनपुरी प्रयागराज ने कहा कि हमारा अनमोल समय परदोष दर्शन में खप रहा है। मानव बनना तो सरल है पर मानवता लाना कठिन है। कथा एवं सत्संग की परंपरा बहुत पुरानी है। जीव मूलाधार चक्र से आज्ञा चक्र पर रुका हुआ है, इसलिए प्रत्येक मनुष्यों को अपने अंदर से भेदभाव को त्याग कर समभाव रूप से रहना चाहिए। सत रज तम गुण को रेखांकित करते हुए बताया कि व्यक्ति के व्यक्तित्व का निर्माण करती है।
मंचस्थ व्यास पीठ का अभिनंदन करते हुए कुटीर संस्थान के व्यवस्थापक डॉ. अजयेन्द्र कुमार दुबे ने कहा कि शिक्षा देने के लिए बड़े भवनों प्रभुत्व की आवश्यकता नहीं है भारतीय परम्परा के अनुसार वृक्ष के नीचे नदी के किनारे युद्ध भूमि में शिक्षा देने की पद्धति है। कर्म धर्म परोपकार की व्याख्या करते हुए कहा कि पतन शीघ्रता से होता है। उत्थान परिश्रम से होता है। धृतराष्ट्र विचारों का अंधा था आज हम सबको कठिन परिश्रम करने की आवश्यकता है।
आभार ज्ञापन प्राचार्य प्रो. राघवेंद्र कुमार पांडेय ने किया। इस अवसर पर पंडित श्रीभूषण मिश्र, हरीश प्रसाद शुक्ल, मंगला प्रसाद सिंह, चंद्रदेव मिश्र, प्रो. धरणीधर दुबे, पूर्व प्राचार्य डॉ. केडी चौबे, डॉ. सभाजीत यादव, प्रबंधक डॉ. अशोक कुमार पांडे, डॉ. विजय कुमार मौर्या, प्रभाकर त्रिपाठी, पूर्व डाक अधीक्षक अमित कुमार दुबे, खंड शिक्षा अधिकारी समेत कुटीर संस्थान के सभी इकाइयों के प्रधानाचार्य राघवेन्द्र कुमार दुबे, प्रधानाचार्य डॉ. राहुल अवस्थी, प्रधानाचार्य उपस्थित रहे। कार्यक्रम में छात्रों द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम का संचालन डॉ. छवि गुप्ता एवं अनामिका शुक्ल ने किया। संचालन ओमकार तिवारी ने किया।
जलालपुर, जौनपुर। 88वां कुटीर संस्थान संस्थापन दिवस एवं श्री गीता जयंती समारोह कुटीर संस्थान, संस्थापक सभागार में समस्त शैक्षिक इकाईयों द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित हुआ। योगीराज श्रीकृष्ण के गीत विज्ञानमय गीता पर संगीतमय उद्बोधन में प्रवचनकर्ता श्रीश्री 1008 श्रीमद् जगद्गुरू रामानुजाचार्य स्वामी श्री हरिप्रपन्नाचार्य जी महाराज (हरिहरानंद) राज राजेश्वरी शक्ति पीठाधीश्वर चक्र सुदर्शनपुरी प्रयागराज ने कहा कि हमारा अनमोल समय परदोष दर्शन में खप रहा है। मानव बनना तो सरल है पर मानवता लाना कठिन है। कथा एवं सत्संग की परंपरा बहुत पुरानी है। जीव मूलाधार चक्र से आज्ञा चक्र पर रुका हुआ है, इसलिए प्रत्येक मनुष्यों को अपने अंदर से भेदभाव को त्याग कर समभाव रूप से रहना चाहिए। सत रज तम गुण को रेखांकित करते हुए बताया कि व्यक्ति के व्यक्तित्व का निर्माण करती है।
मंचस्थ व्यास पीठ का अभिनंदन करते हुए कुटीर संस्थान के व्यवस्थापक डॉ. अजयेन्द्र कुमार दुबे ने कहा कि शिक्षा देने के लिए बड़े भवनों प्रभुत्व की आवश्यकता नहीं है भारतीय परम्परा के अनुसार वृक्ष के नीचे नदी के किनारे युद्ध भूमि में शिक्षा देने की पद्धति है। कर्म धर्म परोपकार की व्याख्या करते हुए कहा कि पतन शीघ्रता से होता है। उत्थान परिश्रम से होता है। धृतराष्ट्र विचारों का अंधा था आज हम सबको कठिन परिश्रम करने की आवश्यकता है।
आभार ज्ञापन प्राचार्य प्रो. राघवेंद्र कुमार पांडेय ने किया। इस अवसर पर पंडित श्रीभूषण मिश्र, हरीश प्रसाद शुक्ल, मंगला प्रसाद सिंह, चंद्रदेव मिश्र, प्रो. धरणीधर दुबे, पूर्व प्राचार्य डॉ. केडी चौबे, डॉ. सभाजीत यादव, प्रबंधक डॉ. अशोक कुमार पांडे, डॉ. विजय कुमार मौर्या, प्रभाकर त्रिपाठी, पूर्व डाक अधीक्षक अमित कुमार दुबे, खंड शिक्षा अधिकारी समेत कुटीर संस्थान के सभी इकाइयों के प्रधानाचार्य राघवेन्द्र कुमार दुबे, प्रधानाचार्य डॉ. राहुल अवस्थी, प्रधानाचार्य उपस्थित रहे। कार्यक्रम में छात्रों द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम का संचालन डॉ. छवि गुप्ता एवं अनामिका शुक्ल ने किया। संचालन ओमकार तिवारी ने किया।
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