श्रीमद्भागवत कथा के चौथे दिन बोले कथावाचक
श्याम चंद्र यादवखेतासराय, जौनपुर। श्री राम जानकी मंदिर ठाकुरद्वारा भारती विद्यापीठ खेतासराय के वार्षिकोत्सव के उपलक्ष्य में आयोजित सप्तदिवसीय श्रीमद्भागवत कथा के चतुर्थ दिन यजमान के रूप में भारती विद्यापीठ के संरक्षक अनिल कुमार उपाध्याय के द्वारा पूज्य वैद्य जी वासुदेव मिश्र की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर मन्दिर में सभी देवी-देवताओं का पूजन कर कथा का शुभारंभ कराया गया। सह यजमान के रूप में प्रवेश उपाध्याय एवं शैलजा उपाध्याय तथा डॉ. धर्मराज पाण्डेय, शशिभूषण मिश्र, मुकेश कुमार पाठक, डॉ. अजय कुमार तिवारी, चन्द्रवीर सिंह ने व्यासपीठ का पूजन किया। कथा व्यास के रूप में आचार्य अखिलेश चन्द्र मिश्र ने प्रह्लाद चरित्र के प्रसंग में बताया कि होलिका प्रह्लाद जी को नष्ट करने के प्रयास में स्वयं नष्ट हो गई। भगवान के भक्त का जो भी अहित करना चाहता है वह स्वयं ही नष्ट हो जाता है। राजा बलि की दानशीलता का महत्व को बताते हुए बलि का दान बलिदान अर्थात सब कुछ न्योछावर कर देना एक पर्यायवाची शब्द बन गया। कृष्ण जन्मोत्सव की कथा सुनाते हुए उन्होंने कहा कि जब-जब पृथ्वी पर अत्याचार, अनाचार, पापाचार बढ़ता है, धर्म पर कुठाराघात होता है, देव गौ ब्राह्मण दुःखी होते हैं तो सबकी रक्षा के लिए गोविन्द का प्राकट्य होता है। धरा पर धर्म की रक्षा के लिए ही प्रभु कभी राम के रूप में, कृष्ण के रुप में, कल्कि, वामन, कपिल इत्यादि के रूप में अवतार धारण करते हैं। कथा में नगर के साथ ही ग्रामीणांचल के श्रोताओं ने भी उपस्थित होकर कथा श्रवण किया। इस अवसर पर प्राचार्य विनय कुमार सिंह एवं उनका स्टाफ, प्रधानाचार्या सुनीता मिश्रा, सफिया खान, विभा पाण्डेय एवं उनका स्टाफ तथा छात्र-छात्राओं सहित अनेक गणमान्य उपस्थित रहे।
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