अजय पाण्डेय
जौनपुर। नगर कोतवाली अंतर्गत आये दिन छोटे-छोटे विवाद जैसे मारपीट, फौजदारी, चोरी, छीना झपटी, पॉकेटमारी हो रही है। सूचना के बावजूद भी पुलिस द्वारा किसी प्रकार कार्यवाही नहीं हो पाती है। आखिर क्यों? क्या इन छूटभैयों को पुलिस का वरदहस्त प्राप्त है। क्या पुलिस को सूचना संग आरोपी को सौंपने के बाद भी पुलिस पीड़ित को परेशान करने का संकल्प ले रखा है? चोरी करते हुए लोगों को पकड़कर पुलिस थाने में सौंपने के बाद पुलिस उन्हें बैठाकर रात में मंडोली करके छोड़ देती है। पीड़ित जब सुबह जाकर पूछता है तो पुलिस द्वारा बताया जाता है कि रात में पुलिस अधीक्षक द्वारा चेकिंग अभियान चलाए जाने पर मेरी नौकरी पर बन पड़ेगी, इसलिए उन्हें छोड़ दिया गया। अब सर्विलांस पर लगवाकर बताएंगे। सवाल उठता है कि अपराध करने वाले अपराधी यदि पुलिस थाने में बैठाये जायेंगे तो थाने के लोगों को नौकरी पर बन पड़ेगी। अगर ऐसा है तो फिर थाना और पुलिस क्यों?
बताते चलें कि कोतवाली क्षेत्र में आए दिन छोटे बड़े वारदात होते रहते हैं परंतु अपनी छवि को चुस्त-दुरुस्त बनाने के नाम पर कोतवाली पुलिस ऐन-केन-प्रकारेण से मामले की लीपापोती करके खत्म कर देती है। आखिर ऐसा क्यों? पुलिस के इस रवैये को आप क्या कहेंगे? इस समय भीख मांगने वाली औरतों-लड़कियों का गिरोह कोतवाली क्षेत्र में बहुत ही सक्रिय है। कभी चैन तो कभी बटुआ तो कभी बैग या मोबाइल की चोरी करते पकड़ी जाती है। उन्हें पुलिस हिरासत में देने के बावजूद भी कोई भूमिका न निभाई जाय तो स्पष्ट है कि सारे काम मिलीभगत से हो रहे है। फिलहाल पीड़ित परेशान है।
जौनपुर। नगर कोतवाली अंतर्गत आये दिन छोटे-छोटे विवाद जैसे मारपीट, फौजदारी, चोरी, छीना झपटी, पॉकेटमारी हो रही है। सूचना के बावजूद भी पुलिस द्वारा किसी प्रकार कार्यवाही नहीं हो पाती है। आखिर क्यों? क्या इन छूटभैयों को पुलिस का वरदहस्त प्राप्त है। क्या पुलिस को सूचना संग आरोपी को सौंपने के बाद भी पुलिस पीड़ित को परेशान करने का संकल्प ले रखा है? चोरी करते हुए लोगों को पकड़कर पुलिस थाने में सौंपने के बाद पुलिस उन्हें बैठाकर रात में मंडोली करके छोड़ देती है। पीड़ित जब सुबह जाकर पूछता है तो पुलिस द्वारा बताया जाता है कि रात में पुलिस अधीक्षक द्वारा चेकिंग अभियान चलाए जाने पर मेरी नौकरी पर बन पड़ेगी, इसलिए उन्हें छोड़ दिया गया। अब सर्विलांस पर लगवाकर बताएंगे। सवाल उठता है कि अपराध करने वाले अपराधी यदि पुलिस थाने में बैठाये जायेंगे तो थाने के लोगों को नौकरी पर बन पड़ेगी। अगर ऐसा है तो फिर थाना और पुलिस क्यों?
बताते चलें कि कोतवाली क्षेत्र में आए दिन छोटे बड़े वारदात होते रहते हैं परंतु अपनी छवि को चुस्त-दुरुस्त बनाने के नाम पर कोतवाली पुलिस ऐन-केन-प्रकारेण से मामले की लीपापोती करके खत्म कर देती है। आखिर ऐसा क्यों? पुलिस के इस रवैये को आप क्या कहेंगे? इस समय भीख मांगने वाली औरतों-लड़कियों का गिरोह कोतवाली क्षेत्र में बहुत ही सक्रिय है। कभी चैन तो कभी बटुआ तो कभी बैग या मोबाइल की चोरी करते पकड़ी जाती है। उन्हें पुलिस हिरासत में देने के बावजूद भी कोई भूमिका न निभाई जाय तो स्पष्ट है कि सारे काम मिलीभगत से हो रहे है। फिलहाल पीड़ित परेशान है।
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