जौनपुर। खेतासराय थाना क्षेत्र के मनेच्छा गांव स्थित मदरसा बहरुल उलूम में वार्षिक जलसा और दस्तारबंदी कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता हाफिज शरफुद्दीन ने की, जबकि संचालन मौलाना मोहम्मद अहमद ने किया। कार्यक्रम की शुरुआत कारी मोहम्मद यासीन द्वारा पवित्र कुरान की तिलावत से हुई। इस दौरान कुरान हिफ्ज़ (याद) करने वाले छात्रों मोहम्मद राफ़े (पुत्र फ़िरोज़ अहमद) और अब्दुर्रहीम (पुत्र नसरुल्लाह) को मौलाना अबूजर मदनी, हाफिज़ शरफुद्दीन, मास्टर शमीम अहमद और अन्य गणमान्य व्यक्तियों द्वारा दस्तार (पगड़ी) पहनाकर सम्मानित किया गया।
इस अवसर पर मौलाना अबूजर मदनी ने कहा कि शिक्षा अल्लाह की पहचान का जरिया है। इंसान शिक्षा के बिना अधूरा है। जिन लोगों ने ज्ञान प्राप्त किया, उन्होंने दुनिया में अपनी काबिलियत का लोहा मनवाया है। यह अल्लाह की बड़ी नेमत है कि इन बच्चों ने पवित्र कुरान को अपने हृदय में संजो लिया है। कुरान के हर शब्द को पढ़ने पर अल्लाह ने नेकी का वादा किया है। सोचिए, जिसने पूरे कुरान को याद कर लिया और जीवनभर उससे जुड़ा रहा, उसका अल्लाह के यहाँ क्या मुकाम होगा। उन्होंने आगे कहा कि यह दुनिया तो आखिरकार खत्म हो जाएगी, लेकिन क़यामत के दिन केवल हमारे अच्छे कर्म ही हमारे काम आएंगे। उस दिन न कोई हमारा साथ देगा और न ही कोई मदद कर पाएगा, सिर्फ हमारे अपने कर्म ही हमारे साथ होंगे। इसलिए हमें इस दुनिया में रहते हुए अपने रब को राज़ी करना चाहिए, नमाज़ की पाबंदी करनी चाहिए, एक-दूसरे के हक़ अदा करने चाहिए और अपनी औलाद की बेहतरीन परवरिश करनी चाहिए ताकि समाज में शांति और सौहार्द बना रहे।
मौलाना याकूब क़ासमी ने कहा कि कुरान पाक मुक़द्दस पवित्र किताब है, जिसमें क़यामत तक एक हर्फ़ की भी तब्दीली नहीं हो सकती क्योंकि यह लाखों-करोड़ों दिलों में महफूज़ है। वे लोग कितने खुशकिस्मत हैं जिन्होंने अपनी संतान को हाफिज-ए-कुरान बनाया है। कुरान को अल्लाह ने इंसान की रहनुमाई के लिए उतारा है, और जो इसके मुताबिक अपनी जिंदगी गुज़ारेगा, वह दुनिया और आखिरत में कामयाब होगा।
मौलाना सलाहुद्दीन ने कहा कि ज्ञान रोशनी है, जिसने इसकी अहमियत को समझा और इसे हासिल किया, वे सफल हुए। जब तक हमारे अंदर ज्ञान प्राप्त करने का जज़्बा नहीं होगा, हम इसकी कीमत नहीं समझ पाएंगे। हदीस मे है 'तुममें सबसे बेहतर वह है जो कुरान को सीखे और सिखाए।' सोचिए, ज्ञान रखने वालों का कितना ऊँचा मक़ाम है! इसलिए हमें यह संकल्प लेना चाहिए कि दुनिया की तमाम कठिनाइयों को सहकर भी हम अपने नौनिहालों को शिक्षा दिलाएंगे। इस मौके पर मास्टर शमीम अहमद, मौलाना नवेद अहमद, मास्टर फैज़ अहमद, सक़लैन, हाफिज़ सलमान, नासिर, अदनान समेत अन्य गणमान्य व्यक्ति विशेष रूप से उपस्थित रहे।
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