चन्दवक, जौनपुर। स्थानीय बाजार में स्थित सत्कार बेलनेस ऑफ इंस्टीट्यूशन कार्यालय पर शुक्रवार को फिजियोथैरेपी, भौतिक चिकित्सा से जुड़े चिकित्सक व छात्रों ने सरकार व स्वास्थ्य महानिदेशक द्वारा "डॉ" लिखने की अनुमति मिलने पर एक—दूसरे को मिठाई खिलाकर खुशी जताई गई।
इस बाबत डॉ अवनीश सिंह ने बताया कि सभी चिकित्सा विधाओं के ज्ञाताओं को भौतिक चिकित्सा फिजियोथेरेपी के विषय को गंभीरतापूर्वक समझने की जरूरत है। आज भौतिक चिकित्सा बहुत ही एडवांस स्वरूप ले चुकी है। इसके बारे में बहुतेरे चिकित्सक व जनता अनभिज्ञ हैं। स्वयं भारत के प्रधानमंत्री कई बार फिजियोथैरेपी और फिजियोथैरेपिस्ट चिकित्सा के बारे में बता चुके हैं। जल्द ही संगठन के माध्यम से प्रधानमंत्री से मिलकर समस्याओं से अवगत कराया जायेगा।
उन्होंने का कहा कि जिस तरह डायग्नोस्टिक जांच के बिना हर चिकित्सक अधूरा है, वैसे ही भौतिक चिकित्सा के बिना सभी प्रकार के सर्जरी अधूरी है। किसी भी प्रकार की जॉइंट का रिप्लेसमेंट या ऑपरेशन हो या न्यूरो सर्जरी हो या कार्डियोक सर्जरी, गायनी, चाइल्ड डेवलपमेंट प्लास्टिक सर्जरी या अन्य कोई भी सर्जरी हो। अगर सर्जरी से पहले और सर्जरी के बाद फिजियोथैरेपी ट्रीटमेंट ना किया जाय तो सर्जरी का सफल होना या कहे मरीज का सामान्य स्थिति में आना नामुमकिन जैसा है। कभी-कभी तो स्थिति ऐसी होती है कि मरीज केवल फिजियोथेरेपी से ही ठीक हो जाता है, उसे दवा इत्यादि की जरूरत ही नहीं पड़ती है।
अगर संपूर्ण भारत के भौतिक चिकित्सा एक दिन काम रोक दें तो पूरी स्वास्थ्य व्यवस्था चरमरा जायेगी। बता दें कि स्वास्थ्य सेवा महानिदेशक (डीजीएचएस) ने फिजियोथैरेपिस्टों को "डॉ" की उपाधि का उपयोग करने से रोक लगा दी थी जिसे महज एक दिन में वापस ले लिया गया जिसके बाद सरकार व स्वास्थ्य महानिदेशक के इस निर्देश पर देश भर के भौतिक चिकित्सकों में खुशी लहर दौड़ पड़ी।
कार्यक्रम में डा. सुरेश शरद प्रिय, डा. पंकज, डा. अमितेश, डा. रूद्रेश, डा. मयंक, डा. अभिनव, डा. सोनी, डा. श्रुति, डा. मेधा, डा. मनीष, डा. रोहित, डा. प्रमोद के साथ तमाम लोग मौजूद रहे।
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