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Jaunpur Live : अय्यामे अजा 7 : हुसैन ने कहा अगर तुम चाहो तो मैं इलाका छोड़ कहीं और चला जाऊं

सिम्र ने इब्ने जेयाद को पत्र लिखा लेकिन उसने और सख्ती करने का हुक्म दिया

जौनपुर। आठ मोहर्रम की रात बीत जाती है और दिन शुरू होता है। तारीखे तबरी के अनुसार इब्ने सअद ने एक बार फिर इब्ने जेयाद को खत लिखा। जिसके अनुसार उसने लिखा कि फितना फसाद की आग को बुझा दिया है। हुसैन ने मुझसे वादा किया है कि वो जिस इलाके से आये है। उसी इलाके में वापस चले जाएंगे या सरहदों में से किसी सरहद की ओर निकल जाएंगे। एक आम मुसलमान की तरह जिंदगी गुजारेंगे। अपने नफा और नुकसान में भी एक साधारण व्यक्ति की तरह रहेंगे। बाद में वो अपने और यजीद के संबंध में कोई निर्णय लेंगे। इब्ने जेयाद ने पत्र पढ़ने के बाद कहा कि इसमें हाकिम और कौम के लिए नसीहत भी है और हमदर्दी भी लेकिन इसी दौरान शिम्र बिन जिल जौशन ने कहा कि तुम उस समय इब्ने सअद की यह बात स्वीकार करने जा रहे हो जब हुसैन पूरी तरह तुम्हारे गिरफ्त में है। अगर हुसैन बाहर निकले तो अपना हाथ मजबूत कर लेंगे और उनकी ताकत बढ़ जाएगी। उसने इब्ने जेयाद को भड़काते हुए ईश्वर की सौगंध देकर कहा कि उसे यह सूचना मिली है कि देर रात तक हुसैन और बिन सअद के बीच बैठक होती है। जिसे सुन इब्ने जेयाद ने उसे हुक्म दिया कि अपनी फौज के साथ फौरन जाओ और उमर बिन सअद को मेरा यह पत्र पहुंचा दो। कहना कि हुसैन पर और सख्ती करे अगर वह मान जाएं तो उसे सही और सालीम मेरे पास भेज दो अगर न मानें तो उससे जंग करो और उसका सर काटकर मेरे पास लाओ हालांकि यह रिवायत विश्वसनीय नहीं हो सकती क्योंकि इसमें इब्ने जेयाद को इल्जाम से हटाकर पूरा इल्जाम सिम्र पर डालने की कोशिश की गयी है जैसा कि कई और राबियों ने किया है। यजीद को इल्जाम से बचाने के लिए इब्ने जेयाद पर पूरा इल्जाम ठोंक दिया है। क्योंकि यह संभव ही नहीं कि इमाम हुसैन ने यजीद की बैय्यत करने का कभी भी इरादा किया हो। आठ मोहर्रम का दिन भी गुजर जाता है और नवीं मोहर्रम आ जाती है। ये वो दिन होता है जब हुसैन और असहाबे हुसैन को चारों तरफ से घेर लिया जाता है। शाम की ओर से आयी हुई फौजे चौतरफा अपना पड़ाव डाल लेती है और इब्ने जेयाद और उमर बिन सअद यह सोचकर खुश भी दिखाई पड़ रहे है कि अब हुसैन और उनके सहाबी कमजोर पड़ गये है इसलिए हमारी बातें मानने पर मजबूर हो जाएंगे। इधर सिम्र अपने लश्कर के साथ नखलिया से चलता है और जुमरात के दिन अर्थात नौ मोहर्रम की तारीख को दोपहर से पहले कर्बला पहुंच जाता है। मरहूम फाजिल अली कजवीनी के मुताबिक कर्बला की तरफ रवाना होने वाले फौजी दस्तों में उमर बिन सअद के बाद सबसे पहले चार हजार का फौजी दस्ता सिम्र का था लेकिन नौ मोहर्रम से पहले यह कर्बला आने के बाद पुन: इब्ने जेयाद के पास चला गया था जो नौ मोहर्रम को दोबारा पहुंचा। इब्ने सअद ने शिम्र को देखते ही कहा अल्लाह तुम्हारे घर को अबादियों से दूर करार दे और तुम्हारी कब्रा को बेनिशान कर दे क्योंकि तुमने बनते हुए काम को बिगाड़ा है। अल्लाह गवाह है हुसैन कभी सर नहीं झुकाएंगे।

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