जौनपुर। नेहरु बालोद्यान के वन विहार रोड परिसर पर राष्ट्रीय बाल विज्ञान कांग्रेस की मार्ग दर्शक शिक्षक कार्यशाला हुर्इं कार्यक्रम में जनपद के विभिन्न विद्यालयों के विज्ञान शिक्षकों ने प्रतिभाग किया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए तिलकधारी महाविद्यालय के रसायन विज्ञान के पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ. नरेन्द्र पाल सिंह ने कहा कि विज्ञान का प्रोजेक्ट बनाने से बच्चों में वैज्ञानिक सोच विकसित होगी। अभी भी हमारे यहा अंधविश्वास एवं रुढ़िवादिता फैली हुई है, इसे बच्चों के मन से निकालने की जरुरत है हम अध्यापकों का नैतिक कर्तव्य है कि बच्चों को केवल विज्ञान न पढ़ाये बल्कि उनके मन में वैज्ञानिक सोच भी विकसित करें। कार्यक्रम में उपस्थित विषय विशेषज्ञ टीडी कालेज के रसायन की प्रवक्ता डॉ. मंजू जी ने शिक्षकों को प्रोजेक्ट बनाने के तरीको को विस्तार से बताया।
राष्ट्रीय बाल विज्ञान कांग्रेस जौनपुर की जिला समन्वयक डॉ. चन्द्रकला सिंह ने बताया इस वर्ष के लिए राष्ट्रीय बाल विज्ञान कांग्रेस का मुख्य विषय विज्ञान एवं प्रौद्यांगिकी द्वारा स्वच्छ, हरित एवं स्वस्थ्य राष्ट्र है मुख्य विषय से सम्बन्धित बाल वैज्ञानिय स्थानीय समस्यों पर अपने प्रोजेक्ट तैयार करके विभिन्न स्तरीय आयोजनों में प्रस्तुत करेंगे। राष्ट्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संचार परिषद भारत सरकार द्वारा बच्चों में क्रियेटिव सोच एवं वैज्ञानिक दृष्टिकोण पैदा करने के उद्देश्य से पिछले 25 वर्षों से लगातर पूरे देश में राष्ट्रीय बाल विज्ञान कांग्रेस का आयोजन सम्बन्धित राज्यों में विज्ञान लोकप्रियकरण के क्षेत्र में सुप्रसिद्ध सरकारी एवं गैरसरकारी संस्थाओं के माध्यम से शिक्षा विभाग के समन्वयन में सतत् किया जा रहा है जिसमें कई लाख बच्चे अपने-अपने क्षेत्र की समस्याओं का अध्ययन विज्ञान विधि से करके उसे समाधान करने का प्रयास करते है, और उसके सतत् दस्तावेजीकरण को विभिन्न स्तरीय बाल विज्ञान कांग्रेस में प्रस्तुत करते है, जिन्हे बाल वैज्ञानिक के रूप में सम्मानित किया जाता है।
जिला समन्वयक ने बताया कि सम्बन्धित उप विषयों के अन्तर्गत बच्चे पता करते है कि उनके आस-पास ऊर्जा संसाधन से सम्बन्धित क्या-क्या प्रमुख समस्याएं है, और वे अपने प्रोजक्ट के अंतर्गत विज्ञान विधि से कार्य करके उसे पहचानेंगे तथा कार्य योजना तैयार करके उसके समाधान का प्रयास किये। बच्चे पता करते हैं कि जौनपुर मंे ऊर्जा और समाज का परस्पर तालमेल कैसा है, ऊर्जा और पर्यावरण परस्पर किस रूप में जुडे़ हुये हैं और उसका पर्यावरण पर प्रभाव कैसा पड़ रहा है, बच्चे अध्ययन के दौरान अपने आस-पास के क्षेत्र में पता किये, कि ऊर्जा प्रबंधन एवं संरक्षण के क्या-क्या उपाय किये है अथवा किये जा रहे हैं और वे अपने स्तर क्या-क्या उपाय कर सकते है, बच्चे ऊर्जा की खपत अथवा वितरण आदि की प्लानिंग भी किये और उसे एक नमूने के रूप में प्रस्तुत करने के प्रयास किये।
राष्ट्रीय बाल विज्ञान कांग्रेस की इस जिला स्तरीय कार्यशाला में जनपद के विभिन्न 35 विद्यालयों के 85 विज्ञान शिक्षकों ने प्रतिभाग किया। राष्ट्रीय बाल विज्ञान कांग्रेस के सह राज्य समन्वयक डॉ. सीडी सिंह ने बताया कि इस वर्ष बाल विज्ञान कांग्रेस में प्रतिभाग करने के लिए बच्चों को ऑन लाइन रजिस्ट्रेशन कराना होगा तथा राष्ट्रीय बाल विज्ञान कांग्रेस की जिला स्तरीय प्रतियोगिता नवम्बर माह में सम्पन्न करायी जायेगी। कार्यक्रम में आये हुए अतिथियों एवं विज्ञान शिक्षकों का आभार प्रदर्शन जनपद समन्वयक डॉ. चन्द्रकला सिंह ने किया।
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