Jaunpur Live : कुम्हारों की कला लुप्त होने की कगार पर, बढ़ी मुश्किलें



Jaunpur Live News Network
जौनपुर लाइव न्यूज नेटवर्क
मीरगंज, जौनपुर। आधुनिकता के इस दौर में बाजार में रेडीमेड सामानों की भरमार हो गयी हैं। जिससे मिट्टी के बर्तन और दीये बाजार में अब कम ही नजर आने लगे हैं। एक समय पर चाइनीज प्रोडक्टस ने जिस तरह से बाजार पर एकाधिकार कर रखा है उससे लग रहा हैं कि मिट्टी के दीए बनाने वाले कुम्हारों की यह कला जल्द ही लुप्त हो जाएगी। जिससे कुम्हारों के समक्ष रोजी रोटी की समस्या उतपन्न होने लगी हैं हालांकि अब फिर से चाइनीज उत्पादों का विरोध हो रहा है। इसके मद्देनजर इस दीवाली पर कुम्हारों को फिर से नई उम्मीद जगने लगी है। कुम्हारों ने इस बार फिर से जोश के साथ दीवाली की तैयारियां शुरू कर दी हैं और वह मिट्टी के बर्तन सहित दीयली, कसोरा, घंटी सहित अन्य चीजें बनाने में जुट गए हैं। लालीपुर जरौना की कुम्हार बस्ती में रहने वाले संतलाल प्रजापति, रामशिरोमणि, लोलारख, रमाशंकर प्रजापति कई ऐसे कुम्हार जो पिछले कई साल से यह काम कर रहे हैं, इस बार दीवाली की तैयारियों को लेकर काफी जोश के साथ जुट गए हैं। पिछले 40 साल से मिट्टी के बर्तन व अन्य उत्पाद बना रहे संतलाल प्रजापति की मानें तो एक वक्त था जब दीवाली से पहले ही काफी समय से कुम्हार दीवाली की तैयारियों में लग जाते थे लेकिन धीरे—धीरे वक्त बदलने के साथ-साथ कुम्हारों के लिए मुश्किलें बढ़ती गईं। रामशिरोमणि के मुताबिक इस बार भी हम इसी उम्मीद से काम कर रहे हैं कि यह दीवाली हम कुम्हारों के लिए भी उजाला लेकर आएगी।


3 साल से बढ़ रहा मिट्टी का बाजार
पिछले लगभग 3 वर्षों में मिट्टी के उत्पाद बनाने का कारोबार धीरे-धीरे पटरी पर लौट रहा है। वहीं पिछले 40 साल से मिट्टी का कार्य कर रहे संतलाल, राकेश कुमार के मुताबिक यूं तो कई बार मिट्टी के दीए खरीदने और स्वदेशी अपनाने की बात की जाती है लेकिन इनका असल जिंदगी में कितना अमल होता है यह कोई नहीं जानता। इस बार लोगों में जागरूकता को देख हम कुम्हार दीवाली से पहले काफी उत्साहित दिख रहे हैं जो आगे समय बतायेगा कि क्या लाभ होगा?
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