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Jaunpur Live : सैयदा के लाल का चेहलुम मनाने आयी है...



Jaunpur Live News Network
जौनपुर लाइव न्यूज नेटवर्क
जौनपुर। शीराजे हिन्द का ऐतिहासिक चेहलुम सोमवार को भारी भीड़ के बीच गमगीन माहौल में हुआ। इस दौरान सैयदा के लाल का चेहलुम मनाने आयी हैं, आज जैनब भाई पर आंसू बहाने आयी हैं... का मातमी नौहा गूंजता रहा। सैकड़ों वर्ष पुराना जिले का चेहलुम देश में अपना अलग स्थान रखता है। इसे देश में अजादारी का केंद्र माना जाता है। इसी क्रम में रविवार की रात बाजार भूआ स्थित इस्लाम चौक पर ताजिया रखा गया। ताजिये की जियारत के लिए रातभर अकीदतमंदों की भीड़ उमड़ती रही। इसके बाद मजलिस हुई जिसे मौलाना कैसर नवाब ने खेताब फरमाया।

Jaunpur Live : सैयदा के लाल का चेहलुम मनाने आयी है...

अलविदाई मजलिस को तड़के मौलाना बिलाल हसनैन ने खेताब करते हुए कहा कि इमाम हुसैन को बेकफन दफन किया गया। लुटे कुनबे को जगह-जगह घुमाया गया और यजीद ने चेहलुम नहीं मनाने दिया। रात भर अंजुमनों ने नौहा मातम किया। अंत में दहकती हुई जंजीरों का मातम गुलशने इस्लाम ने किया तो लोगों की आंखों से आंसुओं का सैलाब उमड़ पड़ा। सोमवार को अपराह्न एक बजे मजलिस शुरु हुई। इसे मौलाना नदीम रजा जैदी फैजाबादी ने खेताब किया। बाद खत्म मजलिस इमामबाड़े से फूलों से लदी तुरबत निकाली गयी। इसे देखकर लोग फफक-फफक कर रोने लगे। यहां विभिन्न सम्प्रदायों के लोगों ने मन्नतें मांगी। तुरबत और ताजिये का जुलूस अंजुमन गुलशने इस्लाम के हमराह अपने कदीमी रास्ते पानदरीबा रोड, काजी की गली, मस्जिद तला रोड होता हुआ बेगमगंज स्थित सदर इमामबाड़े में खत्म हुआ। सूर्यास्त होते ही सैकड़ों ताजियों के साथ इस्लाम चौक के 10 फीट के ताजिये एवं तुरबत को दफन कर दिया गया। यहां हजारों लोगों ने शहीदों को पुरसा दिया। चेहलुम कमेटी के संयोजक हाजी असगर हुसैन जैदी ने बताया कि प्रत्येक वर्ष इस्लाम की चौक का चेहलुम एक दिन पूर्व ही मनाया जाता है। पूरे देश में कहीं और चेहलुम न मनाये जाने से इस चेहलुम में शिरकत करने के लिए देश के अधिकांश भागों से जायरीन यहां आते है। इसे एक दिन पूर्व मनाये जाने में इसका अपना एक महत्व है। बताते हैं कि किसी जमाने में मोहल्ला निवासी शेख मोहम्मद इस्लाम एक मामले में फंसा दिए गए थे और जेल हो गई थी। वह अंग्रेजी हुकूमत का दौर था। चेहलुम करीब आते मोहम्मद इस्लाम इस अफसोस में थे कि हर साल की तरह इस साल ताजिया नहीं सजा पायेंगे लेकिन उन्होंने मन्नत मांगी और एक दिन पहले ही उनकी हथकडि़या और जेल का दरवाजा अपने आप खुल गया। इस चमत्कार को देख अंग्रेज अफसर भौचक रह गए और उन्हें रिहा कर दिया गया। रिहाई के बाद उसी दिन उन्होंने ताजिया सजाकर रखा और तभी से यह चेहलुम एक दिन पहले ही मना लिया जाता है। अंत में असगर हुसैन जैदी ने सभी के प्रति आभार व्यक्त किया। संचालन अकबर हुसैन जैदी एडवोकेट ने किया। इस मौके पर भारी संख्या में लोग मौजूद रहे।

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