Jaunpur Live : जहाँ दाँव पर लगे मुल्क की आबरु, मेरी ज़िंदगी का दाम लिख देना...



  • भैंसा में कवि सम्मेलन एवं मुशायरा

थानागद्दी, जौनपुर लाइव। चंदवक क्षेत्र के ग्राम पंचायत भैंसा स्थित जूनियर हाई स्कूल परिसर में पितृ विसर्जन के अवसर पर लोक साहित्य एवं जन सेवा समिति के बैनर तले कवि सम्मेलन एवं मुशायरे का आयोजन किया गया। सोमवार की देर रात्रि तक डेढ़ दर्जन से अधिक कवियों ने कविता पढ़कर जहां सामाजिक कुरीतियों पर प्रहार किया वहीं नज़्मों में राजनीतिक भ्रष्टाचार ऊंकेरा। श्रोता शेर ओ शायरी सुनकर गदगद हुए तो गज़ल सुन झूम उठे। कवियों ने हास्य व्यंग्य की फुलझड़यिां छोड़ श्रोताओं को खूब गुदगुदाया।


कार्यक्रम की शुरुआत में बतौर मुख्य अतिथि पूर्व कनिष्ठ प्रमुख उमाशंकर सिंह ने दीप प्रज्जवलित किया और पवन पाण्डेय की सरस्वती वंदना से कवि सम्मेलन का आगाज हुआ। जनाब इकबाल ने कृष्ण सुदामा प्रसंग कुछ इस तरह सुनाया तन पे गरीबी झलके अइसे पेवना कपड़ा सटल बा। नन्दलाल राढ़ी ने शासन व्यवस्था पर कटाक्ष करते हुए कुछ यूं पढ़ा महंगाई, भ्रष्टाचार हैवानियत हद पार है, आतंकवाद से सरकार परेशान है। डॉ. बहादुर अली खान मिनाई ने देशप्रेम की अलख जगाते हुए सुनाया कि कानून के हरामजादों को कुत्ते की मौत का इंतकाम लिख देना, जहां लग जाये दांव पर मुल्क की आबरु वहां जो भी लगे मेरी जिंदगी का दाम लिख देना। मुन्ना घायल ने अश्पृश्यता पर कविता पाठ डूबते हुए सूरज का मैं ही सबूत हूँ हाँ मैं अछूत हूं सुनाकर समाज को झकझोरा। उनकी गजल तुम्हारी यादों के चंद आँसू हमारी आंखों में पल रहे है खूब सराही गयी। श्रीपति सिंह गौतम ने नेताओं पर व्यंग कसते हुए सुनाया कि बोले सभी सुने नहीं कोई लोकसभा कहलाती है। महेन्द्रशंकर पांडेय की हास्य कविता सरकार ने भला वो काम किया है हर चट्टी चौराहे पर दारु की दुकान किया है पर खूब ठहाके लगे। सूबेदार पांडेय ने जब रहिया में असगुन होय मत तू आगे कदम बढ़ावा सुनाकर रुढ़िवादिता के प्रति समाज को सचेत किया। आधुनिकता की चकाचौध में अपसंस्कृति के जाल में उलझ रहे समाज पर व्यंग कसते हुए साहब लाल सहज ने सुनाया कि दुल्हन घूँघट में ससुरे आयी त समझा ई पिछड़ापन हौ। प्राइमरी में लड़का पढ़िहै त समझा ई पिछड़ापन हौ। एकता अखंडता का मंत्र वन्देमातरम सुनाकर पवन ने राष्ट्रीय एकता का भाव जगाने का प्रयास किया। बृजेश लहरी और एकलाख ने गज़ल सुनकर श्रोताओं को भाव विभोर कर दिया। हमसे तो अच्छी जाति है परिंदों की कभी मंदिर पर जा बैठे तो कभी मस्जिद पर जा बैठे सुनाकर उमाशंकर सिंह ने हिन्दू मुस्लिम सौहार्द बनाये रखने की अपील की। बंजर जौनपुरी, सुशील भिड़ंत, रामधनी स्वामी, राजदेव राज, सुभाष पथिक और रामअवतार ने भी चंद शेर व कविता पढ़कर समा बांधा। अध्यक्षता पूर्व प्रधानाचार्य मदनमोहन शुक्ल तथा संचालन डॉ. बहादुर अली खान मिनाई ने किया। इस मौके पर जगदीश पाठक, चंद्रभान सिंह, हवलदार पाण्डेय, गुल्ली पाण्डेय, डॉ. केके यादव, अशोक पाण्डेय, महेंद्र यादव, मुकेश पाण्डेय सहित दर्जनों उपस्थित रहे।


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