Jaunpur Live : टीडीपीजी कालेज छात्रसंघ चुनाव कराने में पास होते होते सभी हो गये फेल




  • प्रशासनिक लापरवाही व सुस्ती का खामियाजा भुगतना पड़ा छात्रनेताओं को
  • अंतिम दौर में मतगणना के दौरान बैलेट पेपर फाड़े जाने से निरस्त हुआ था टीडीपीजी कालेज का चुनाव

सै. हसनैन कमर दीपू
जौनपुर। तिलकधारी सिंह महाविद्यालय का छात्रसंघ चुनाव हमेशा चर्चा का विषय न सिर्फ पूर्वांचल में बल्कि प्रदेश के राजनीतिक गलियारों में बना रहता है। इस बार भी सभी राजनीतिक दलों के स्थानीय नेताओं के साथ-साथ बड़े नेताओं की निगाहें यहां के छात्रसंघ चुनाव पर टिकी रहती है। दो साल बाद कालेज प्रशासन ने जब छात्रनेताओं की मांग पर छात्रसंघ चुनाव कराने का एलान किया तो सभी बड़े राजनीतिक दलों के नेता अपने-अपने प्रत्याशियों को मैदान में उतारकर चुनाव जीतने की रणनीति बनाने लगे पर आखिरी समय में उस समय पानी फिर गया जब मतगणना के अंतिम दौर में अध्यक्ष पद के प्रत्याशी पर यह आरोप लगा कि उसने बैलेट पेपर फाड़कर चुनाव में व्यवधान उत्पन्न किया। इस पर सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से लेकर कई बड़े नेताओं ने ट्वीटर पर तंज कसा जिससे सियासी माहौल और गर्म हो गया। गौरतलब हो कि राजनीति की पहली पाठशाला छात्रसंघ चुनाव होती है। ऐसे में अपने अपने राजनीतिक दलों के लिए बड़े नेता यहां से निकलने वाले छात्रनेताओं को अपनी क्षत्रछाया में लेकर बड़ा राजनीतिक मंच देकर उनके राजनीतिक करियर को नई दिशा देते है। यही वजह है कि इस छात्रसंघ चुनाव में प्रत्याशी भी अपना सबकुछ दांव पर लगाने को बेताब रहते है। 2018 में जब चुनाव संचालन समिति की सहमति के बाद प्राचार्य विनोद कुमार सिंह ने छात्रसंघ चुनाव का एलान किया तो छात्र-छात्राओं की खुशी का ठीकाना नहीं रहा। इसको लेकर कालेज प्रशासन ने कड़ी मेहनत व रणनीति बनायी और जिला प्रशासन से सहयोग भी मांगा पर आखिरकार अंतिम क्षणों में जिला प्रशासन की लापरवाही की चलते सभी पर पानी फिर गया। चुनाव में व्यवधान उत्पन्न कराने के लिए प्राचार्य विनोद कुमार सिंह की आवास पर गोलियां भी चलायी गयी और हवाई फायरिंग व देसी बम चलने की घटनाएं आम सी हो गयी थी। इसको लेकर पुलिस अधीक्षक डीपी सिंह ने भी अपनी रणनीति तैयार की थी पर अंतिम समय में वो भी पूरी तरह पास होते होते फेल हो गया। सवाल यह उठता है कि जब पुलिस प्रशासन को यह जिम्मेदारी सौंपी गयी थी कि लॉ एन आर्डर किसी भी तरह से खराब न हो तो मतगणना के अंतिम समय में यह घटना कैसे हो गयी? शायद यह अधिकारियों की सुस्ती का नतीजा मानें या लापरवाही, खामियाजा छात्रनेताओं को ही भुगतना पड़ा और चुनाव संचालन समिति ने बैलेट पेपर फाड़े जाने के बाद जब चुनाव निरस्त करने की घोषणा की तो लोगों के जेहन में यह सवाल उठने लगा कि आखिर इसका जिम्मेदार कौन है? सवाल यह भी उठता है कि लाखों रुपया खर्च करने के बाद कालेज व पुलिस प्रशासन सकुशल चुनाव सम्पन्न कराने में जुटा था तो अंतिम समय में यह चूक कहां हो गयी जिससे पूरे चुनाव को निरस्त करना पड़ा? या यूं कहे कि पास होते होते सभी अपने कार्यों में पूरी तरह फेल हो गये। फिलहाल एहतियात के तौर पर कालेज परिसर को पुलिस छावनी में तब्दील कर दिया गया है और चप्पे चप्पे पर पुलिस के आलाधिकारी तैनात कर दिये गये है।

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