दावेदार टिकट पाने के लिए पार्टी हाईकमान का कर रहे गणेश परिक्रमा
होली के साथ ही चुनावी रंग चढ़ने के दिख रहा आसार
हिम्मत बहादुर सिंह
जौनपुर। आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर सपा-बसपा के गठबंधन का पत्ता खुलने के बाद अन्य पार्टी के गठबंधन करने वाले सहयोगी दलों में बेचैनी बढ़ गई है। छोटे दल बड़े दल के साथ गठबंधन करके अपनी साख बढ़ाने के लिए बेताब है हालांकि देश की सबसे बड़ी पार्टी भाजपा और कांग्रेस के गठबंधन का पत्ता अभी नहीं खुला है। वैसे सपा-बसपा के गठबंधन में मछलीशहर सुरक्षित तथा जौनपुर सदर लोकसभा सीट बसपा के खाते में जाने से सपा के धुरंधर जो काफी दिनों से सदर लोकसभा सीट से अपनी किस्तम अजमाने के लिए बेताब थे उनके हाथ निराशा ही लगी है। रही बात भाजपा और कांग्रेस तथा अन्य गठबंधनों की तो दावेदार बड़े नेताओं के दरबार में टिकट पाने के लिए मत्था टेक रहे है।
बताते चलें कि इस बार पनघट की डगर कठिन होने के कारण हर दल बहुत ठोक बजाकर चुनाव मैदान में प्रत्याशी उतारने की रणनीति में मशगुल हैं। उत्तर प्रदेश में चुनावी समीकरण में जातीय समीकरण हावी होने के कारण दावेदार भी गुणा गणित बैठा रहे है कि किस दल का दामन थामा जाय जिससे पार्टी का पताका फहरा सकें। सदर लोकसभा सीट पर हर किसी की निगाहें लगी हुई है कि कोई नया चेहरा आएगा कि पुराने पर ही पार्टी विश्वास करके एक बार फिर उतारेगी। इसी में राजनीतिक समीकरण उलझा हुआ है। पार्टी द्वारा कोई घोषणा होने के बाद ही राजनीतिक पारा चढ़ने की उम्मीद नजर आ रही है। सूत्रों की मानंे तो एनडीए की सहयोगी अपना दल एस के राष्ट्रीय अध्यक्ष आशीष पटेल और केंद्रीय स्वास्थ्य राज्यमंत्री अनुप्रिया पटेल की कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका वाड्रा के साथ पहले चरण की बातचीत हो चुकी है अंतिम चरण की बातचीत होना बाकी है। इसी तरह अन्य छोटे दल बड़े दलों से सीटों के लिए मोल भाव करके गठबंधन की फिराक में हैं। अगले माह से होली के साथ ही चुनाव रंग चढ़ने के आसार दिखाई दे रहा है। वैसे चुनाव आयोग निर्धारित तिथि पर चुनाव कराने के लिए पूरी तैयारी में जुट गया है।
होली के साथ ही चुनावी रंग चढ़ने के दिख रहा आसार
हिम्मत बहादुर सिंह
जौनपुर। आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर सपा-बसपा के गठबंधन का पत्ता खुलने के बाद अन्य पार्टी के गठबंधन करने वाले सहयोगी दलों में बेचैनी बढ़ गई है। छोटे दल बड़े दल के साथ गठबंधन करके अपनी साख बढ़ाने के लिए बेताब है हालांकि देश की सबसे बड़ी पार्टी भाजपा और कांग्रेस के गठबंधन का पत्ता अभी नहीं खुला है। वैसे सपा-बसपा के गठबंधन में मछलीशहर सुरक्षित तथा जौनपुर सदर लोकसभा सीट बसपा के खाते में जाने से सपा के धुरंधर जो काफी दिनों से सदर लोकसभा सीट से अपनी किस्तम अजमाने के लिए बेताब थे उनके हाथ निराशा ही लगी है। रही बात भाजपा और कांग्रेस तथा अन्य गठबंधनों की तो दावेदार बड़े नेताओं के दरबार में टिकट पाने के लिए मत्था टेक रहे है।
बताते चलें कि इस बार पनघट की डगर कठिन होने के कारण हर दल बहुत ठोक बजाकर चुनाव मैदान में प्रत्याशी उतारने की रणनीति में मशगुल हैं। उत्तर प्रदेश में चुनावी समीकरण में जातीय समीकरण हावी होने के कारण दावेदार भी गुणा गणित बैठा रहे है कि किस दल का दामन थामा जाय जिससे पार्टी का पताका फहरा सकें। सदर लोकसभा सीट पर हर किसी की निगाहें लगी हुई है कि कोई नया चेहरा आएगा कि पुराने पर ही पार्टी विश्वास करके एक बार फिर उतारेगी। इसी में राजनीतिक समीकरण उलझा हुआ है। पार्टी द्वारा कोई घोषणा होने के बाद ही राजनीतिक पारा चढ़ने की उम्मीद नजर आ रही है। सूत्रों की मानंे तो एनडीए की सहयोगी अपना दल एस के राष्ट्रीय अध्यक्ष आशीष पटेल और केंद्रीय स्वास्थ्य राज्यमंत्री अनुप्रिया पटेल की कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका वाड्रा के साथ पहले चरण की बातचीत हो चुकी है अंतिम चरण की बातचीत होना बाकी है। इसी तरह अन्य छोटे दल बड़े दलों से सीटों के लिए मोल भाव करके गठबंधन की फिराक में हैं। अगले माह से होली के साथ ही चुनाव रंग चढ़ने के आसार दिखाई दे रहा है। वैसे चुनाव आयोग निर्धारित तिथि पर चुनाव कराने के लिए पूरी तैयारी में जुट गया है।
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