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मीरगंज, जौनपुर। स्थानीय क्षेत्र के जरौना गांव में बेसहारा पशुओं को लेकर जरौना गांव के लोग पुलिस प्रशासन के आमने-सामने आ गये। बात बिगड़ती, इससे पहले पुलिस पशुओं से भरे ट्रक को वापस लेकर चली गयी। ग्रामीणों के बढ़ते दबाव को देख मौके पर पहुची पुलिस को पसीना आ गया।
हुआ यूं कि मछलीशहर पुलिस ने दोपहर 3 बजे कुछ पशुओं को ट्रक में लादकर गांव के पास बने गौशाला आश्रय केंद्र में छोड़ने पहुंच गए। यह देख ग्रामीणों ने इसका विरोध किया। लोगों का कहना था कि गोशाला अभी निर्माणाधीन है। जरौना के पूर्व ग्राम प्रधान विजय शंकर ने बताया कि अभी न पिलर लगे हैं और न बैरिकेडिंग की गई है। ऐसे में पहले से यहां रह रहे पशु एवं छुट्टा पशु खेतों को भारी नुकसान पहुचा रहे हैं। यहां इस गौशाला में इन्हें देखने वाला कोई नहीं हैं। तभी एक ट्रक पशुओं से भरी लेकर और पहुंच गए। जिसे लेकर गांव के लोग आमने-सामने आ गये। बात फैली तो आस-पास के गांव से भी ग्रामीणों का हुजूम एकत्र हो गया। सूचना पर थानाध्यक्ष मीरगंज दल बल के साथ मौके पर पहुंच गए। भीड़ को निर्माणाधीन गौशाला में जबरन पशु रखने का दबाव पुलिस बनाने लगी लेकिन पुलिस के समझाने की कोशिश की ग्रामीण मानने को तैयार नहीं हुए। जिस पर पशुओं से भरे ट्रक को लेकर पुलिस वापस लौट गयी।
इस संबंध में एसडीएम मछलीशहर मंगलेश दुबे का कहना हैं कि निर्माणाधीन गोशाला एवं बैरिकेडिंग कब तक बनेगा यह मुझे पता नहीं। मेरे मद में धनराशि नहीं आती हैं। अब सवाल यह हैं कि जब तहसील के जिम्मेदार इस तरह से अपना पल्ला झाड़ लेंगे तो लाचार ग्रामीणों की चिंता कौन सुनेगा? बहरहाल ग्रामीणों के बढ़ते दबाब को देखकर गौशाला में पशुओं को छोड़ने पहुचे जिम्मेदार लोगों को पसिंना आ गया और ट्रक को वापस लेकर चले गए।
मीरगंज, जौनपुर। स्थानीय क्षेत्र के जरौना गांव में बेसहारा पशुओं को लेकर जरौना गांव के लोग पुलिस प्रशासन के आमने-सामने आ गये। बात बिगड़ती, इससे पहले पुलिस पशुओं से भरे ट्रक को वापस लेकर चली गयी। ग्रामीणों के बढ़ते दबाव को देख मौके पर पहुची पुलिस को पसीना आ गया।
हुआ यूं कि मछलीशहर पुलिस ने दोपहर 3 बजे कुछ पशुओं को ट्रक में लादकर गांव के पास बने गौशाला आश्रय केंद्र में छोड़ने पहुंच गए। यह देख ग्रामीणों ने इसका विरोध किया। लोगों का कहना था कि गोशाला अभी निर्माणाधीन है। जरौना के पूर्व ग्राम प्रधान विजय शंकर ने बताया कि अभी न पिलर लगे हैं और न बैरिकेडिंग की गई है। ऐसे में पहले से यहां रह रहे पशु एवं छुट्टा पशु खेतों को भारी नुकसान पहुचा रहे हैं। यहां इस गौशाला में इन्हें देखने वाला कोई नहीं हैं। तभी एक ट्रक पशुओं से भरी लेकर और पहुंच गए। जिसे लेकर गांव के लोग आमने-सामने आ गये। बात फैली तो आस-पास के गांव से भी ग्रामीणों का हुजूम एकत्र हो गया। सूचना पर थानाध्यक्ष मीरगंज दल बल के साथ मौके पर पहुंच गए। भीड़ को निर्माणाधीन गौशाला में जबरन पशु रखने का दबाव पुलिस बनाने लगी लेकिन पुलिस के समझाने की कोशिश की ग्रामीण मानने को तैयार नहीं हुए। जिस पर पशुओं से भरे ट्रक को लेकर पुलिस वापस लौट गयी।
इस संबंध में एसडीएम मछलीशहर मंगलेश दुबे का कहना हैं कि निर्माणाधीन गोशाला एवं बैरिकेडिंग कब तक बनेगा यह मुझे पता नहीं। मेरे मद में धनराशि नहीं आती हैं। अब सवाल यह हैं कि जब तहसील के जिम्मेदार इस तरह से अपना पल्ला झाड़ लेंगे तो लाचार ग्रामीणों की चिंता कौन सुनेगा? बहरहाल ग्रामीणों के बढ़ते दबाब को देखकर गौशाला में पशुओं को छोड़ने पहुचे जिम्मेदार लोगों को पसिंना आ गया और ट्रक को वापस लेकर चले गए।
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