मीरगंज। जिला मुख्यालय से 55 किलोमीटर दूर वरुणा नदी के तट पर बसा मछलीशहर विकास खंड के बसेरवा गांव की पहचान संत कबीर से है। गांव की 20 फीसदी आबादी कबीरपंथ से जुड़ी है। यहां स्थित कबीर विज्ञान आश्रम में मंगलौर, कर्नाटक, छत्तीसगढ़, मद्रास, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, राजस्थान आदि प्रांतों से भी कबीर के अनुयायी आते रहते हैं। कबीर के जन्मोत्सव पर ज्येष्ठ की पूर्णिमा को तो यहां मेला लग जाता है।
तीन वर्ग किलोमीटर में फैले इस गांव की आबादी महज चार हजार है।
यहां कबीर विज्ञान आश्रम का मुख्यालय है, जिसे कबीर विज्ञान आश्रम बड़ैया के नाम से जाना जाता है। करीब 250 साल पुराने इस आश्रम की देश भर में 400 शाखाएं हैं और सभी शाखाओं से जुड़े भक्त यहां आते हैं। गांव में दलित, ब्राह्मण, यादव, बरई, गोसाई, पाल , बनिया, क्षत्रिय जाति के लोग रहते हैं। गांव अनुसूचित जाति के लोगों की बहुलता है। संत कबीर के अनुयायी होने के कारण गांव के लोग साधना और श्रम दोनों में विश्वास रखते हैं। गांव के लोगों की आजीविका का मुख्य जरिया कृषि है। इस गांव में12 कुएं, 50 हैंडपंप और 10 ट्रैक्टर हैं। खेती के मुनाफे में कमी के चलते गांव के लोग रोजगार की तलाश में दूसरे शहरों में भी गए हैं। 150 से अधिक लोग रोजीरोटी के सिलसिले में मुंबई, कोलकाता, दिल्ली, अहमदाबाद. बड़ोदरा जैसे महानगरों में नौकरी करते हैं। सुनील सिंह, अजय सिंह आर्मी, ओमप्रकाश यादव बीएसएफ और रोशन उपाध्याय सीआईएसएफ में हैं। दिलीप उपाध्याय और आशीष पाल उत्तर प्रदेश पुलिस के सिपाही हैं। गांव की दुलारी देवी पाठक सबसे बड़ी बुजुर्ग महिला हैं। उनकी उम्र एक सौ से अधिक हो चुकी है। बसेरवा के पूरब में बनकट, पश्चिम में कसेरवां, उत्तर जरौना और दक्षिण में वरुणा नदी है। गांव के 130 लोगों का बीमा कार्ड बना है लेकिन खास बात यह कि एक भी व्यक्ति का आज तक शौचालय सरकार की ओर से नहीं बनवाया गया। गांव के उत्तर में जरौना रेलवे स्टेशन और दक्षिण में कंशराज रेलवे स्टेशन है। इन दोनों रेलवे स्टेशनों की दूरी बसेरवा गांव से पांच पांच किलोमीटर है। गांव में एक प्राथमिक, एक जूनियर हाईस्कूल और एक इंटर कालेज भी है। इंटर के बाद की पढ़ाई के लिए गांव के छात्रों को 10 किलोमीटर दूर मीरगंज या फिर जंघई जाना होता है।
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