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जौनपुर। रूद्राभिषेक अर्थात् रूद्र का अभिषेक करना यानी कि शिवलिंग पर रूद्र मंत्रों के द्वारा अभिषेक करना। जो कि वेदों में वर्णित है। शिव और रूद्र परस्पर एक दूसरे के पर्यायवाची है। शिव को ही रूद्र कहा जाता है। क्योंकि दुःखम्-रूतम, द्रावयति, नाशयतिति रूद्रः यानी की भोले सभी दुःखों को नष्ट कर देते हैं। हमारे धर्मग्रंथों के अनुसार हमारे द्वारा ही किये गये पाप ही हमारे दुःखों के कारण हैं। रूद्राभिषेक करना शिव आराधना का सर्वश्रेष्ठ तरीका माना गया है। रूद्र शिव जी का ही एक स्वरूप है। रूद्राभिषेक मंत्रों का वर्णन ऋग्वेद्, यजुर्वेद और सामवेद में भी किया गया हैं शास्त्र और वेदों में वर्णित है कि शिव जी का अभिषेक करना परमकल्याणकारी है।
रूद्रार्चन और रूद्राभिषेक से हमारे पातक कर्म भी जलकर भष्म हो जाते हैं और साधक में शिवत्व का उदय होता है तथा भगवान शिव का शुभार्शिर्वाद भक्त को प्राप्त होता है और उनके सभी मनोरथ पूर्ण होते हैं। ऐसा कहा जाता है कि एक मात्र सदा शिव रूद्र के पूजन से समस्त देवताओं की पूजा स्वतः हो जाती है।
श्रवण मास में किसी भी दिन किया गया रूद्राभिषेक अद्भुत व शीघ्र फल प्रदान करने वाला होता है।
विगत वर्षों की भाँति इस वर्ष भी पं0 बाँके महराज ज्योतिष संस्थान जौनपुर द्वारा श्री बड़े हनुमान जी मन्दिर, रासमण्डल, निकट होटल रीवर व्यू जौनपुर पर दिनांक 28-07-2019 दिन रविवार प्रातः 10 बजे से वृहद पार्थिव शिवलिंग पूजन एवं महारूद्राभिषेक का आयोजन किया गया है।
आपके समाचार पत्र द्वारा आम जनमानस को शिव के पार्थिव स्वरूप व महारूद्राभिषेक का सचित्र व लिखित वर्णन का लाभ एवं पुण्य प्राप्त हो सके।
इन्हीं आकांक्षाओं के साथ आपकी प्रतीक्षा में-
भवदीय
डाॅ. रजनीकांत द्विवेदी
(श्रीमद् भागवत कथा व्यास व ज्योतिषी)
Mob.: 9839680219
जौनपुर। रूद्राभिषेक अर्थात् रूद्र का अभिषेक करना यानी कि शिवलिंग पर रूद्र मंत्रों के द्वारा अभिषेक करना। जो कि वेदों में वर्णित है। शिव और रूद्र परस्पर एक दूसरे के पर्यायवाची है। शिव को ही रूद्र कहा जाता है। क्योंकि दुःखम्-रूतम, द्रावयति, नाशयतिति रूद्रः यानी की भोले सभी दुःखों को नष्ट कर देते हैं। हमारे धर्मग्रंथों के अनुसार हमारे द्वारा ही किये गये पाप ही हमारे दुःखों के कारण हैं। रूद्राभिषेक करना शिव आराधना का सर्वश्रेष्ठ तरीका माना गया है। रूद्र शिव जी का ही एक स्वरूप है। रूद्राभिषेक मंत्रों का वर्णन ऋग्वेद्, यजुर्वेद और सामवेद में भी किया गया हैं शास्त्र और वेदों में वर्णित है कि शिव जी का अभिषेक करना परमकल्याणकारी है।
रूद्रार्चन और रूद्राभिषेक से हमारे पातक कर्म भी जलकर भष्म हो जाते हैं और साधक में शिवत्व का उदय होता है तथा भगवान शिव का शुभार्शिर्वाद भक्त को प्राप्त होता है और उनके सभी मनोरथ पूर्ण होते हैं। ऐसा कहा जाता है कि एक मात्र सदा शिव रूद्र के पूजन से समस्त देवताओं की पूजा स्वतः हो जाती है।
श्रवण मास में किसी भी दिन किया गया रूद्राभिषेक अद्भुत व शीघ्र फल प्रदान करने वाला होता है।
विगत वर्षों की भाँति इस वर्ष भी पं0 बाँके महराज ज्योतिष संस्थान जौनपुर द्वारा श्री बड़े हनुमान जी मन्दिर, रासमण्डल, निकट होटल रीवर व्यू जौनपुर पर दिनांक 28-07-2019 दिन रविवार प्रातः 10 बजे से वृहद पार्थिव शिवलिंग पूजन एवं महारूद्राभिषेक का आयोजन किया गया है।
आपके समाचार पत्र द्वारा आम जनमानस को शिव के पार्थिव स्वरूप व महारूद्राभिषेक का सचित्र व लिखित वर्णन का लाभ एवं पुण्य प्राप्त हो सके।
इन्हीं आकांक्षाओं के साथ आपकी प्रतीक्षा में-
भवदीय
डाॅ. रजनीकांत द्विवेदी
(श्रीमद् भागवत कथा व्यास व ज्योतिषी)
Mob.: 9839680219
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