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बरईपार। स्थानीय बाजार के पश्चिमी छोर पर स्थित घसीटा नाथ धाम आस्था का केंद्र बिंदु बना हुआ है। सावन महीने भर यहां पर कांवरियों की भीड़ लगी रहती है। दूर-दूर से श्रद्धालु यहां पर भगवान शिव का जलाभिषेक करने आते हैं। मंदिर परिसर में भगवान शिव के अलावा माता लक्ष्मी, विश्वकर्मा महाराज के अलावा अनेकों मंदिर हैं। इस मंदिर में प्रतिदिन सुबह और शाम की आरती होती है जिसमें भारी संख्या में लोग भाग लेते हैं। लोगों का ऐसा विश्वास है कि यहां पर दर्शन पूजन करने से मनवांछित फल की प्राप्ति होती है। घसीटा नाथ धाम का इतिहास बहुत अनोखा है। जनश्रुति के अनुसार कान्हापुर गांव निवासी माता बदल चरवाहा बहुत पहले यहां पर अपनी गायों को चराने के लिए आते थे। यह एक टीला नुमा स्थान था यहां जंगल झाड़ी हुआ करता था। माता बदल की गायों के झुंड से एक गाय प्रतिदिन एक झाड़ी के पास जाकर खड़ी हो जाती थी। एक दिन माता बदल ने देखा गाय के थन से दूध गिर रहा है। जहां गाय थी जाकर देखा तो वहां पर भगवान शिव की पिंडी थी। माता बदल रोजाना भगवान शिव को जल चढ़ाने लगे। धीरे-धीरे वहां मंदिर का विकास हुआ और लोग पूजन पाठ करने लगे। एक बार एक बाबा आकर रुक गए और उन्होंने मंदिर में स्थित शिवलिंग की खुदाई शुरू कर दिया। 70 फीट की खुदाई हो जाने के बाद भी शिवलिंग का कुछ अता पता नहीं चला। अचानक एक बर्रे का झुंड बाबा के ऊपर आक्रमण कर दिया किसी प्रकार वह जान बचाकर वहां से भागे। लोगों का मानना है कि शिवलिंग की मोटाई दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। यह भी एक आश्चर्य का विषय है। यह शिवलिंग उत्तर पश्चिम की दिशा में अयोध्या धाम की तरफ झुका हुआ है। लोगों की मान्यता है कि यह शिवलिंग बहुत ही शक्तिशाली है और लोगों की मनोकामना पूर्ण करते हैं। सावन के महीने में भीड़ तो होती ही है लेकिन हर सोमवार को यहां पर भक्तों की भीड़ रहती है। लोग अपनी मनोकामना पूर्ण के लिए भगवान को जलाभिषेक करने के साथ अन्य देवी देवताओं की भी पूजा करते हैं।
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