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विमलेश पाठक
सुजानगंज, जौनपुर।
जिले के पश्चिमी छोर पर स्थित श्री गौरीशंकर धाम आस्था और शक्ति का केन्द्र माना जाता है। पूर्वजों के अनुसार इस मंदिर की स्थापना 14वीं सदी में हुई थी।
वर्तमान मन्दिर परिक्षेत्र पहले झाड़ियों और घास फूस आक्षादित था। लोग यहां अपने पशुओं को चराने के लिए ले आते थे। एक दिन किसी ने देखा कि एक जगह गाय खड़ी थी और उसके स्तन से दूध अपने आप गिर रहा था। जब देखा गया तो यह दूध एक पत्थर पर गिर रहा था। उसी रात उस व्यक्ति ने एक सपना देखा जिसमें एक बुढ़िया ने बताया कि उस जगह शिव की प्रतिमा है और वहां मंदिर का निर्माण करवाओ तभी सब का कल्याण होगा। उसके बाद ग्रामीणों ने इस मूर्ति के आस पास सफाई किया और मंदिर की स्थापना में लग गए।
यहाँ की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि शिव की मूर्ति अर्धनारीश्वर के रूप में स्थित है। ऐसी मान्यता हैं कि इस मंदिर के घंटा की आवाज जितनी दूर तक जाती है उतनी दूर तक कोई आपदा या संकट नहीं आता। मंदिर में सावन के मेले को देखते हुए चारों तरफ दुकानें और झूलने सजने लगते हैं। दूर दराज से दुकानदार यहाँ अपनी दुकानें लेकर आते है। सावन माह में यहां लाखों की संख्या में भक्त दर्शन करने आते हैं। कांवरियों की जितनी संख्या यहाँ जलाभिषेक करने आती है उतना जिले भर में कहीं नहीं जाती।
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