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रतन लाल आर्य
रतन लाल आर्य
बख्शा, जौनपुर। स्थानीय विकास खण्ड के सदरुद्दीनपुर रन्नो गांव में गुरुवार को अहले हरम मदीने की याद में बसारती जुलूसे—ए—अमारी का आयोजन किया गया। अमारी में दूर—दराज से आयी अंजुमनों ने शिरकत किया। मजलिस में आये लोगों ने नौहखानी व सीनाजनी की। उलेमाओं ने इमाम हुसैन एवं 72 साथियों एवं शकीना पर हुए जुल्म की दास्तान सुनाए तो मौजूद सैकड़ो लोगों की आंखें नम हो गयी।
जुलूस सुबह शुरू जो शाम सात बजे गाँव स्थित रौजा-ए-रसूल पर ठंडा किया गया। 10 मोहर्रम सन 61 हिजरी को इमाम हुसैन ने अपने 72 साथियों के साथ शहादत के उनके परिवार के सदस्यों को यजीद द्वारा शाम को कैदखाने में कैद कर दिया था। जब कैद से रिहाई मिली तो परिवार के लोगो ने कर्बला जाकर शहीदों के लाशों को दफन किया और अपने मदीने लौटे। उसी की याद में अहले हरम की मदीने वापसी के कहर जुलूस-ए-अमारी का आयोजन किया गया।
जुलूस के दौरान 18 अलम तथा शकीना का ताबूत बरामद किया गया। जुलूस में सर्वप्रथम सोजख्वानी जनाब मुस्ताक अहमद खां व पेशख्वानी मौलाना अम्बर खां रन्नवी ने किया। मौलाना प्रिंसिपल नासिरिया ने जुलूस की मजलिस तो मौलाना इन्तेजार आब्दी इलाहाबादी ने अमारी का परिचय कराया। बस्ती बहराइच से आये मौलाना सैय्यद हैदर मेंहदी ने करबला की दास्तान सुनाई तो लोगों की आँख में आंसू आ गए। दिल्ली से आये मौलाना मुज्जफर हसनैन ने तकरीर में छः माह के मासूम अली असगर को यजीद द्वारा गर्दन पर तीन फाल तीर चलाकर शहीद होने की जुल्म पेश की।
जुलूस में जफराबाद, जलालपुर, शाहगंज, इलाहाबाद, बनारस रामनगर, बेगमगंज जौनपुर, रन्नो के अंजुमनों ने नौहा मातम किया। इस दौरान बाहर से आने वाले अंजुमनों का स्वागत जकी अहमद, साहेबे आलम, मौलान शाने आलम व आयत रजा खां ने किया। देख—रेख जुलूस कमेटी आलम खादिम अब्बास, राशिद अली उर्फ बाबर, महताब हुसैन, अली हैदर खां आदि की देख—रेख में हुआ। इस दौरान जाने आलम, बदर अहमद बदरू, मौलाना शाने आलम, जमील हसन, अफसर हुसैन, अली हैदर खान आदि लोगों का योगदान रहा।
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