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अजय सिंह
शाहगंज, जौनपुर। जौनपुर आजमगढ़ अंबेडकरनगर सुल्तानपुर जनपद सीमा पर स्थित भुवनेश्वर महादेव बेलवाई मंदिर शिव भक्तों के अटूट आस्था के लिए विख्यात है। यूं तो इस धाम में 12 महीने शनिवार और सोमवार को श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। सावन के महीने में व शिवरात्रि पर यहां श्रद्धालुओं का रेला उमड़ पड़ता है। सावन के महीने में बाबा धाम जाने वाले कांवरिया इसी मंदिर से बाबा धाम जाने की शुरुआत करते हैं।
मंदिर की ऐतिहासिकता आठवीं सदी तक जाती है। मान्यताओं के मुताबिक जिस समय मंदिर की स्थापना हुई देश में ब्रिटिश हुकूमत थी तथा लॉर्ड विलियम बेंटिक गवर्नर जनरल था। इस आधार पर प्राचीन मंदिर लगभग 300 वर्ष पुराना है हालांकि इसकी स्थापना के पीछे तमाम कहानियां प्रचलित है। पहली कथा के मुताबिक जिस स्थान पर मंदिर स्थित है चार पाँच सौ वर्ष पूर्व यहां आम की बहुत बड़ी बाग थी बाद के स्वामित्व को लेकर सुल्तानपुर तथा गैरवाह जौनपुर गांव के बीच विवाद था। विवाद में बेलवाई निवासी एक ब्राहमण की मौत हो गई। गुस्से में ग्रामीणों ने उसी स्थान पर चिता सजा दी तथा उसकी पत्नी सती होने के लिए चिता पर बैठी।
बताया जाता हैं कि तमाम प्रयासों के बावजूद चिता में आग नहीं पकड़ रही थी। जब सब थक गए तो उक्त महिला ने बताया कि यहां जमीन के नीचे किसी देवता का वास है। यहां चिता नहीं जलेगी। इस सलाह पर लोगों ने चिता थोड़ा हटा दी और आश्चर्यजनक रूप से चिता में आग लग गई तथा उक्त महिला वही सती हो गई। इस घटना के बाद लोगों ने कौतूहलवश उक्त स्थल की खुदाई प्रारंभ की और नीचे मिट्टी में शिवलिंग मिला। काफी नीचे खोजने के बाद भी उक्त शिवलिंग का जब कोई ओर-छोर नहीं मिला तो लोगों ने उसी स्थान पर पूजन अर्चन प्रारंभ कर दिया। बाद में सराय मोहिद्दीन पुर निवासी बुद्धू सेठ ने वहां मंदिर बनवाया। हालांकि वर्तमान में प्राचीन मंदिर के स्थान पर नया भव्य मंदिर भक्तों द्वारा निर्मित करा दिया गया जबकि गर्भ आज भी वही पुराना है। खास बात यह है कि मंदिर परिसर में ही सती माता का चौरा भी स्थित है। लोग वहां भी पूजा अर्चन करते हैं वर्तमान समय में मंदिर के अगल-बगल दर्जनों अन्य देवी देवताओं हनुमान जी दुर्गा जी लक्ष्मी नारायण राधा कृष्ण माता काली का मंदिर स्थित है। मंदिर के बगल पक्का जलाशय है जिसमें भक्त स्नान आदि करते हैं।
दोनों गांव में आज भी दूरी
सती माता के श्राप से वेलवाई तथा गैरवाह में आज भी दूरी कायम है। दोनों गांव के बीच आज भी खानपान नाथ रिश्तेदारी यहां तक की नमस्कार प्रणाम आदि बंद है। लोग एक दूसरे के यहां पानी भी नहीं पीते।
काशी अयोध्या के बीच स्थित है यह धाम
भुनेश्वर धाम बेलवाई काशी (वाराणसी) तथा अयोध्या के मध्य स्थित है। उक्त धाम से दोनों पौराणिक नगरों की दूरी 90 से 100 किमी के अंदर है। मान्यता हैं कि भगवान शिव ने राम कथा श्रवण के लिए अयोध्या जाते समय यहां विश्राम किए थे।
मंदिर के पुजारी राम अनुग्रह गिरी
बताया कि भुवनेश्वर महादेव मंदिर बेलवाई लगभग 500 वर्ष पुराना है 21 पीढ़ियों से हमारा परिवार भगवान भोले की सेवा व मंदिर का देख—रेख करता चला आ रहा है। मान्यता हैं कि भगवान शिव ने राम कथा श्रवण के लिए अयोध्या जाते समय यहां विश्राम किए थे इस मंदिर में शिवलिंग स्वतः प्रकट हुआ था। यहां सावन के माह में श्रद्धालुओं की काफी भीड़ रहती है।
मंदिर की व्यवस्था संभालते हैं सामाजिक कार्यकर्ता
देवदीप मानव उत्थान समिति शिव धाम बेलवाई के सचिव दिलीप कुमार मोदनवाल बताते हैं कि सावन के महीने में मंदिर में श्रद्धालुओं का रेला लगा रहता है। व्यवस्था बनाए रखने में सामाजिक संस्था के लोग सहयोग करते हैं। साफ-सफाई पानी व बिजली आदि की व्यवस्था बेहतर रहे। इसके लिए स्वयंसेवक सक्रिय रहते हैं किसी तरह की परेशानी का सामना लोगों को न करना पड़े इसके लिए कार्यकर्ता मंदिर व मेला क्षेत्र में भ्रमण करते रहते हैं पुलिस प्रशासन भी अपनी सहभागिता निभाता है मंदिर पूर्वांचल में में आस्था का एक प्रमुख केंद्र है।
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