#TeamJaunpurLive
शिवशंकर दुबे
खुटहन, जौनपुर। काला जार के बिषय में जानकारी न होना या जानबूझकर उपचार में लापरवाही बरतने पर यह जानलेवा हो सकता है। यह एक संक्रामक रोग है। जो एक से दूसरे तक बहुत तेजी के साथ फैलता है। यह जानकारी शनिवार को क्षेत्र के रामापुर, लवायन और नगवां गांव में काला जार की जांच करने आये प्रखंड पर्यवेक्षक संदीप पाण्डेय ने दी। उन्होने अपनी टीम के साथ घर घर जाकर बुखार से पीड़ित मरीजो के लक्षणो को देखा। गांवों मे इस रोग से पीड़ित कोई नहीं मिला।
श्री पाण्डेय ने बताया कि पिछली साल दिसंबर मे रामापुर गांव में काला जार से पीड़ित विनोद कुमार मिले थे। जिनका उपचार बीएचयू में कराये जाने के बाद स्वस्थ हो गये थे। जिसको देखते हुए उक्त गांव सहित अगल-बगल गांवों की भी पड़ताल करायी जा रही है। रोग के विषय में बताया कि इसकी शुरु आत बालू मक्खी के काटने से होती है। यह मक्खी गोबर, कचरा और कच्चे मकानों की फटी दीवारों में रहती है। यदि एक सप्ताह से अधिक दिनों तक बुखार नहीं छोड़ता तो इसकी जांच अवश्य करा लेनी चाहिए। सरकारी अस्पतालों पर जांच की सुविधा उपलब्ध है। इस रोग से पीड़ित होने पर रोगी को सीधा बीएचयू वाराणसी ले जाकर उपचार कराना चाहिए क्योंकि जिले के किसी भी अस्पताल मे इसके उपचार की सुविधा मुहैया नहीं है।
शिवशंकर दुबे
खुटहन, जौनपुर। काला जार के बिषय में जानकारी न होना या जानबूझकर उपचार में लापरवाही बरतने पर यह जानलेवा हो सकता है। यह एक संक्रामक रोग है। जो एक से दूसरे तक बहुत तेजी के साथ फैलता है। यह जानकारी शनिवार को क्षेत्र के रामापुर, लवायन और नगवां गांव में काला जार की जांच करने आये प्रखंड पर्यवेक्षक संदीप पाण्डेय ने दी। उन्होने अपनी टीम के साथ घर घर जाकर बुखार से पीड़ित मरीजो के लक्षणो को देखा। गांवों मे इस रोग से पीड़ित कोई नहीं मिला।
श्री पाण्डेय ने बताया कि पिछली साल दिसंबर मे रामापुर गांव में काला जार से पीड़ित विनोद कुमार मिले थे। जिनका उपचार बीएचयू में कराये जाने के बाद स्वस्थ हो गये थे। जिसको देखते हुए उक्त गांव सहित अगल-बगल गांवों की भी पड़ताल करायी जा रही है। रोग के विषय में बताया कि इसकी शुरु आत बालू मक्खी के काटने से होती है। यह मक्खी गोबर, कचरा और कच्चे मकानों की फटी दीवारों में रहती है। यदि एक सप्ताह से अधिक दिनों तक बुखार नहीं छोड़ता तो इसकी जांच अवश्य करा लेनी चाहिए। सरकारी अस्पतालों पर जांच की सुविधा उपलब्ध है। इस रोग से पीड़ित होने पर रोगी को सीधा बीएचयू वाराणसी ले जाकर उपचार कराना चाहिए क्योंकि जिले के किसी भी अस्पताल मे इसके उपचार की सुविधा मुहैया नहीं है।
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