जौनपुर। वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय में यात्रा लेखन और फोटोग्राफी विषयक कार्यशाला में दूसरे दिन प्रख्यात यात्रा लेखिका और फोटोग्राफर डॉ. कायनात काजी ने प्रतिभागियों को यात्रा लेखन के तकनीकों से परिचित कराया। उन्होंने कहा कि हमारे पास जो ऊर्जा का स्रोत हैं उसे बनाने में लगाना है की लड़ने में यह हमें स्वयं तय करना होगा। सकारात्मक दृष्टिकोण हमारा होगा तभी हम बेहतर लिख पाएंगे। यात्रा पर सूचनाओं के संकलन, जानकारी की पुष्टि एवं लेखन की नवीन तकनीकों पर विस्तार से चर्चा की।
उन्होंने कहा कि एक फोटोग्राफर की नजर कातिल की नजर की तरह होनी चाहिए। दृश्य को कैद करने के लिए फोटोग्राफर को कोई बताएगा नहीं बल्कि उसे खुद महसूस करना पड़ेगा। केंद्रीय ट्रेनिंग एवं प्लेसमेंट सेल एवं जनसंचार विभाग के संयुक्त तत्वावधान में चल रही इस कार्यशाला में जनसंचार विभाग के विद्यार्थी शाकंभरी नंदन द्वारा चित्र संचय फोटो प्रदर्शनी का आयोजन किया गया। इसका उद्घाटन डॉ. कायनात काजी एवं प्लेसमेंट सेल की निदेशक प्रोफेसर रंजना प्रकाश द्वारा किया गया।
फोटो प्रदर्शनी में पोट्रेट फोटोग्राफी, लैंडस्केप फोटोग्राफी, ब्लैक एंड व्हाइट फोटोग्राफी को बड़े शानदार तरीके से प्रस्तुत किया गया। शाही पुल, सूरज के उगने की फोटो, लंगूर बंदर, साधू सन्यासियों और जौनपुर के घाट की फोटो ने विद्यार्थियों को खूब आकर्षित किया।
प्लेसमेंट सेल की निदेशक प्रोफेसर रंजना प्रकाश ने कहा कि यह कार्यशाला निश्चित तौर पर विद्यार्थियों में लेखन और फोटोग्राफी के तकनीकी पक्षों से परिचित कराने में पूर्ण सफल होगी। कार्यशाला के प्रथम सत्र में संवाद कार्यक्रम आयोजित किया गया जिसमें प्रतिभागियों ने डॉ. कायनात काजी से अपने मन की बात एवं सवाल किए। जनसंचार विभाग अध्यक्ष डॉ. मनोज मिश्र में अतिथियों का स्वागत किया। संचालन कार्यशाला के संयोजक डॉ. दिग्विजय सिंह राठौर ने किया। इस अवसर पर डॉ. अवध बिहारी सिंह, डॉ. सुनील कुमार, डॉ. चंदन सिंह, सुधाकर शुक्ला, पंकज सिंह, आनंद सिंह समेत प्रतिभागी मौजूद रहे।