नया सबेरा नेटवर्क
जौनपुर। शहर के दक्षिणी छोर पर सिटी स्टेशन रेलवे क्रासिंग के निकट स्थापित मंदिर में श्री मां आद्याशक्ति दक्षिणा काली की विशाल प्रतिमा अत्यन्त मनोहारी है। पूर्वांचल में ऐसे आकर्षक भव्य कालिका धाम मंदिर की महिमा अत्यन्त निराली है। यहां पर नित्य भक्तों द्वारा माँ का दर्शन पूजन एवं श्रद्धा समर्पण से तत्काल मनोकामना पूर्ति में सहायक होता है। नवरात्रि में मां काली का दर्शन करने के लिए दूर-दराज क्षेत्रों से काफी संख्या में लोग यहां पर आते हैं। भोर में ही मंदिर का कपाट पूजन-अर्चन आरती के बाद भक्तों के लिए खुल जाता है। यहां पर नवरात्रि के पहले दिन से ही मां भक्तों की भारी भीड़ पहुंच रही है। श्रद्धालु नारियल, चुनरी व अड़हुल की माला अर्पित कर हाजिरी लगा रहे हैं और काली माता के जयकारा से पूरा वातावरण गुंजायमान हो जा रहा है।
इस मंदिर की स्थापना सन् 1984 में हुई है। जौनपुर शहर में यह मंदिर कलकत्ता वाली काली के नाम से जाना जाता है। दक्षिणा काली मंदिर के संस्थापक व पुजारी भागवती सिंह ‘वागीश’ ने बताया कि यह स्थलीय काली जी की सनातनी सिद्धपीठ है। जो भक्तों के भाग्य का नवसृजन कर देती हैं। ज्ञान, भक्त, बैराग्य का संवर्द्ध्रन कर शान्ति, भक्ति, आनन्द समृद्धि एवं अपार करुणा का विस्तार कर देती है। कलयुग में काली जी की कृपा आपार है। जो व्यक्ति सच्चे दिल से मां का नाम का प्रतिपल स्मरण करता है, उसके भाग्य का कपाट खुल जाता है।
इस बार शारदीय नवरात्रि सत्तमी में 23 अक्टूबर शुक्रवार को कालरात्रि का दिन है। यह दिन मां काली का सर्वशक्ति एवं सौभाग्य प्रदायक है। इस दिन मां का दर्शन, पूजन-अर्चन, स्मरण जीवन को ज्योर्तिमय तथा मंगलमय कर देता है। पूर्णश्रद्धा एवं अटल विश्वास के साथ मां का उपासना सदैव कल्याणकारी होता है। अतः कलयुग में काली जी की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है।
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