- नये आदेश के वापस न लेने पर संगठन करेगा आंदोलन
- गाजीपुर के डीआईओएस ने दिया था एफआईआर करने का निर्देश
नया सबेरा नेटवर्क
जौनपुर। जिला विद्यालय निरीक्षक सम्बन्धित जिले में माध्यमिक शिक्षा के मुखिया होते हैं और उस जनपद के प्रधानाचार्यों/शिक्षकों के संरक्षक होते हैं। कोई भी आदेश/निर्देश निर्गत करते समय निश्चित ही उन्हें इसका एहसास होना चाहिए, न कि केवल सरकारी एजेन्ट की भूमिका निभानी चाहिए। यह बातें कहते हुए माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रदेश उपाध्यक्ष एवं वाराणसी खंड शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र से प्रत्याशी रमेश सिंह ने गाजीपुर जिला विद्यालय निरीक्षक द्वारा कल की बैठक के दौरान जिस तरह विद्यालयों में छात्रों के कोरोना पॉजिटिव पाए जाने पर सम्बन्धित प्रधानाचार्य के खिलाफ़ एफआईआर दर्ज कराने और चिकित्सा खर्च वसूल करने की बात कही गयी, वह निश्चित रूप से गैरजिम्मेदाराना और निन्दनीय है।
उन्होंने कहा कि विद्यालयों को कोरोना संकट से निपटने के लिए एक भी पाई सरकार और विभाग द्वारा अब तक नहीं दिया गया है और विद्यालयों से अपेक्षा की जा रही है कि वे दोनों पारियों में पूरे विद्यालय को सेनेटाइज कराएं, थर्मल स्कैनर की व्यवस्था करें, बच्चों में मास्क बांटे, साबुन रखें और हैंड सेनेटाइजर की व्यवस्था करें। प्रधानाचार्य किस मद से और कैसे यह व्यवस्था करेंगें? इस पर विभाग और सरकार चुप्पी साध रखी है। ऊपर से तुगलकी फरमान यह कि सारे के लिए प्रधानाचार्य न केवल जिम्मेदार होगा बल्कि जेल भी जाएगा और चिकित्सा खर्च भी वहन करेगा।
उप्र माध्यमिक शिक्षक संघ इसकी घोर निंदा करते हुए ऐसे तुगलकी फरमानों को वापस लेने की मांग करता है। अन्यथा की स्थिति में विद्यालय और स्थानीय प्रशासन आमने-सामने होंगे और उ.प्र. माध्यमिक शिक्षक संघ पूरी मजबूती और एकजुटता के साथ विद्यालय प्रशासन के साथ खड़ा होकर संघर्ष करने के लिए विवश होगा जिसका सम्पूर्ण उत्तरदायित्व विभाग एवं सरकार पर होगा।
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