नया सबेरा नेटवर्क
जौनपुर में प्रशासन ने अधिग्रहीत किए 12 निजी अस्पतालों में मची है लूट
- तीमारदार के दवा रसीद मांगने पर मरीज भगाने की दी जाती है धमकी
- प्रिंट रेट से अधिक दाम वसूल रहे, वापसी बिल्कुल नहीं लेते ये कोविड अस्पताल
-हर दिन जांच के नाम पर 25 से 40 हजार कराते हैं जमा
जौनपुर। कोरोना की दूसरी लहर ने जहां प्रदेशभर में तबाही मचा रखी है वहीं धरती के भगवान रूपी निजी चिकित्सक आपदा में मिले अवसर को जमकर भुना रहे हैं। मरीजों के परिजनों से रोज 25 से 40 हजार जांच व भर्त्ती के नाम पर जमा कराए जा रहे हैं। जो मरीज या उसके परिजन थोड़ा भी जागरूक या पहुंच वाला दिखता है उसे बहाने बनाकर वाराणसी रेफर कर दिया जाता है। यदि उनके कहे अनुसार अस्पताल ले गए तो उसमें भी उनका कमीशन पक्का हो जाता है। मरीज भले मर जाए पर दवा वापसी बिल्कुल नहीं करते। इनके ही दवा की दुकानों पर प्रिंट रेट से अधिक वसूली होती है। इंजेक्शन तो तेली के बैल की तरह घूमकर वहीं पहुंच जाता है जहां से खरीदा गया होता है। रसीद मांगने पर मरीज भगाने की धमकी दी जाती है।
एल 1 और एल 2 के छह,छह अस्पतालों के संचालन, शिकायतों के निस्तारण को तैनात चिकित्सक कान में सरसों का तेल डालकर पड़े रहते हैं। फिर भी कोई शिकायतकर्ता मिल ही गया तो वे अस्पताल और मरीज के बीच ब्रोकर की भूमिका में नज़र आते हैं। डीएम, सीएमओ कहते हैं कि शिकायत मिली तो जांच कराकर कार्रवाई होगी।
इन निजी अस्पतालों के अधिकतर चिकित्सक आईएमए से जुड़े हैं। कोई समस्या आई तो इस संगठन के निचले पदाधिकारियों का सहारा लेते हैं। वे लोग डीएम, सीएमओ को मैनेज करने के साथ मीडिया में वक्तव्य देते हैं कालाबाज़ारी पर। प्रशासन को ढीला बताते हैं। जो निजी चिकित्सक उनकी गोल से बाहर होते हैं, उन्हें कालाबाज़ारी करने वाला करार देते हैं। ये तो शुक्र है डॉ एन के सिंह जैसे व्यक्ति के हाथ में आईएमए की कमान है अन्यथा और बदतर हालत होती।यह समूचा वाकया जनपद के निजी अस्पतालों के हैं। जिनमे से तीन अस्पतालों की बानगी देखिए।
कोरोना पॉजिटिव होने पर पत्रकार विश्व प्रकाश श्रीवास्तव को एल 2 कोविड ईशा अस्पताल में भर्ती कराया गया। यहां भर्ती होने के बाद 27 हजार कोविड फीस 36 घण्टे की ली गयी थी बाद में उन्हें यह कहकर वाराणसी त्रिमूर्ति में भेज गया कि यहां ऑक्सीजन, वेंटिलेटर, एक्सपर्ट डॉक्टर, स्टाफ नहीं है। दूसरा सुनीता अस्पताल नईगंज में ही है। यहां के मालिक डॉक्टर एक क्षेत्रीय दल के नेता हैं। ये बगैर पहुंच वाले ही मरीज भर्ती करते हैं। जिले के युवा कांग्रेस नेता विकास तिवारी के परिचित मरीज रामबचन राम पतौरा मुफ्तीगंज से हर दिन 25 30 हजार जमा कराया। साथ ही ऑक्सीजन भी व्यवस्था आप को ही करना है आखिर ऑक्सीजन के अभाव में मरीज ने दम तोड़ दिया। इन्हीं के पक्ष में सोमवार को आईएमए के एक पदाधिकारी ने लम्बा वक्तव्य दिया था।
तीसरा कोविड अस्पताल है जेडी मेमोरियल। यहां भी मृत मरीज की दवा नहीं वापस ली जाती है इनकी दुकान पर प्रिंट रेट से ज्यादा वसूली हो रही है। इस तरह किसी भी कोविड अस्पताल में दवा, जांच आदि की रसीद नहीं दी जाती है। ऐसे अस्पतालों की लिस्ट भी मय प्रभारी प्रशासन ने जारी की है।
इस बारे में डीएम मनीष कुमार वर्मा कहते हैं कि शिकायत पर सख्ती होगी। सीडीओ अनुपम शुक्ल रेंडम जांच की बात करते हैं। सीएमओ डॉ राकेश सिंह कहते हैं कि ऐसे मामले की जांच कराई जाएगी। डिप्टी सीएमओ आर के सिंह का कहना है कि हम शिकायत पर जांच करके रिपोर्ट ऊपर देंगे तो कार्रवाई होगी।
कांग्रेस के जिलाध्यक्ष फैसल हसन तबरेज़ ने बताया कि मेरे परिवार के लोग में एक प्राइवेट हॉस्पिटल में भर्ती थे यहाँ भी रोजाना ऑक्सीजन की व्यवस्था करने के साथ साथ रोज़ाना पैसा जमा करवाया जाता था ।आम इंसान इन हॉस्पिटल का खर्चा कैसे उठता होगा पता नही।प्रशासन को चाहिए कि इन हॉस्पिटल की जांच कराने के साथ साथ ऑडिट भी कराया जाये।
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