बदलापुर जौनपुर । भारत कृषि प्रधान देश है। 80 प्रतिशत किसान गांवों में रहते हैं।किसानों की खेती मौसम पर आधारित है।इस समय जेठ माह में आषाढ़ की धमक से किसान सकते में है। मौसम की बेरूखी कहे या बिगड़ा मिजाज।जेठ माह में ही आया आषाढ़ का आगाज। ऐसे में ही जेठ के माह में हो रही झमाझम बारिस से किसानों के किसानी का समीकरण ध्वस्त होता दिखायी दे रहा है।किसान ज्योतिषियों की माने तो भूमि की उष्णता बारिस से मृत प्राय हो चुकी है।बीज का अंकुरण होना हासिये पे जा सकता है और खरीफ फसल मक्का अरहर ज्वार बाजरा उर्द मूंग तिल जैसी फसलें मौसम की भेंट चढ़ सकते हैं ,जेठ का महीना आषाढ़ की पुनरा वृत्ति देखीं जा रही है जिसके चलते जायद की फसलें नेनुआ, भिन्डी, मूली, पालक, लौकी आदि सब्जी की फसल भी मौसम की भेंट चढ़ गयी।जिसके चलते सब्जियों के भाव आसमान छूने लगे। यगैति धान की बेरन खेतों में पड़ी हैं वे भी अब रोग की आगोश में आ चुकी है।किसानों पर दोहरी मार पड़ चुकी है । आने वाली खेती राम भरोसे है।जिसको लेकर किसानों के माथे पर चिंता की लकीर देखी जा रही है।सरोखनपुर गांव के किसान शोभनाथ खेत की मेड़ पर बेरन निहारते हुए कहा कि जोन्हरी अरहर बछवा और नीलगाय लेइ लैहे जवन कुछ बची रही बेरन एका लेइ लिहेन आह भरते भगवान का सुमिरन करते लाठी उड़ा के मेड़ो पर आसमान निहारते चले गए। फिलहाल चक्रवर्ती मौसम से किसानों की किसानी का गणित खराब हो चला है अब अषाढ़ी खेती राम भरोसे हैं ऐसा माना किसानों का है ।
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