लड़को की स्थिति बड़ी शोचनीय है,
हम सबकी दशा बड़ी दयनीय है
हर घर में लड़की की हर गलती माफ़ है,
लड़को को ऐसे झेलते हैं जैसे की हम लोग अभिशाप हैं।
लड़के बचपन से जिम्मेदार हो जाते हैं
छोटी उम्र से घर के ठेकेदार हो जाते हैं,
हर काम में संपूर्ण सहयोग देते हैं
गलती हमारी हो या न हो फिर भी हम मान लेते हैं।
कुछ लड़के पिता के धन पर गुमान दिखाते है
पूर्वजों की संपत्ति पर अधिकार जमाते हैं,
हम जैसे लड़को में जिम्मेदारी का एहसास है इसीलिए
हम लोग कुछ कर दिखाने को बेताब हो जाते हैं।
लड़को का जीवन संघर्ष से भरा है
हम पर तो पूरे परिवार का भार पड़ा है
लड़को की जिंदगी को लोग आसान कहते हैं
सुख या दुख हो हम सब अकेले ही सहते हैं।
हमारे चरित्र पर कोई भी बोल जाता है
हर कोई हमारा आचरण बताता है
जब उसके घर के लडको की बात आती है
तो सारा माहौल शांत हो जाता है।
जो खुद गलत है वो हमे गलत बताएंगे
जो बत्त्तमीज हैं वो सम्मान करना सिखाएंगे
जो सीधे लड़के हैं वो आवारा कहलाएंगे
जो समाज के ठेकेदार हैं वो हमे अपनी औकात दिखाएंगे।
हम ऐसे समाज के निवासी हैं
जहा हमारे दुश्मन चौरासी हैं
आज मैं बयां कर रहा हूं–
इसी कारण हम लोग एकांतवासी हैं।
मैं यही कहूंगा की लड़को को भी समझने की कोशिश कीजिए
जहा हमारी गलती है वहा हमे गलत कह दीजिए
लेकिन जहा हमारी गलती नहीं हैं
वहा पर हमारा भी सम्मान कीजिए ।
– रितेश मौर्य
छात्र, एमए हिंदी फाइनल, राज कॉलेज जौनपुर
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