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#JaunpurLive : जरा देख के चलो !



फूल हैं कम, कांटे हैं ज्यादा,
 जरा देख के चलो।
भरोसा कम है,धोखा ज्यादा,
जरा देख के चलो।
मुस्कान कम, तनाव है ज्यादा,
 जरा देख के चलो।
आधी हक़ीक़त,आधा फ़साना,
जरा देख के चलो।
आसमां कम,औ ऊँचे मकां ज्यादा,
जरा देख के चलो।
फायर ब्रिगेड कम,शार्टसर्किट ज्यादा,
जरा देख के चलो।
परिन्दे हैं कम, बहेलिए ज्यादा,
जरा देख के चलो।
खरे इंसान कम,खोटे ज्यादा,
जरा देख के चलो।
सूरज है क़ैद, सितारे  सोये,
जरा देख के चलो।
ये रंग-रलियां औ वो कहकहे,
जरा देख के चलो।
जिस्म का बाज़ार, उड़ते पैसे,
जरा देख के चलो।
रेशमी आँचल, अश्क़ से भींगा,
जरा देख के चलो।
रेंग रही मौत, उड़ते वायरस,
जरा देख के चलो।
ये तूफ़ान, वो बाढ़ का पानी,
जरा देख के चलो।
पलभर की जवानी, लंबी जुदाई,
जरा देख के चलो।
अम्न, तहज़ीब की बिगड़े न खुशबू,
जरा देख के चलो।
हरारत है मन में दीन से न खेलो,
जरा देख के चलो।
नींद की गोंद में चाँद है चुप,
जरा देख के चलो।
फिज़ाओं की साँसें हो न बोझिल,
जरा देख के चलो।
सरहद पे दुश्मन उड़ा रहे ड्रोन,
जरा देख के चलो।

रामकेश एमयादव(कवि,साहित्यकार),मुंबई

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