#JaunpurLive : उसे देखते हैं!

#JaunpurLive : उसे देखते हैं!



वो जिधऱ देखती है,उधर सभी देखते हैं।
महकती है इतनी कि सब फूल देखते हैं।
आई   है  जब  से   वो   मेरे   शहर   में,
कुछ  लोग  अपने  दरीचे  से  देखते  हैं।
उम्रदराजों   की   हालत   हुई   है  ऐसी,
छुप-छुपकर उसे वो आईंने में देखते हैं।
सड़क औ गालियाँ हैं आजकल मजे में,
चाँद के  बहाने  लोग  छत से  देखते हैं।
सादगी झलकती है उसके अंग -अंग से,
नहीं चखे हार का स्वाद,हारकर देखते हैं।
सच  बोलनेवाले  होते  हैं  कितने  मासूम,
उसके झरते  नूर  को अदब से  देखते हैं।
लोग हो जाते हैं घायल उसकी नजरों से,
वो चश्मा अपना पोंछ-पोंछकर देखते हैं।
मद्धिम पड़ जाती है रोशनी सितारों की,
बेचारे  वो  जमीं पर  उतरकर  देखते हैं।
कितनी हूरों  को  गलाकर  बनाया होगा,
खुदा का उसमें लोग  वो  हुनर देखते हैं।
कोई तो बताए इसमें किसी का क्या दोष,
कुछ तो उसे ख्वाबों  में  रातभर देखते हैं।

रामकेश एम.यादव(कवि,साहित्यकार),मुंबई
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