Adsense

कलाकार के लिए साधना, एकाग्रचित्त और दृढ़ता जरूरी है-फणीन्द्र | #NayaSaberaNetwork

नया सबेरा नेटवर्क
आर्ट टॉक के 9वें एपिसोड में चित्रकार फणीन्द्र नाथ चतुर्वेदी के साथ विनोद भारद्वाज का हुआ कला संवाद
देश और विदेशों से भी लोग हुए शामिल।
लखनऊ। अस्थाना आर्ट फ़ोरम के ऑनलाइन मंच पर ओपन स्पसेस आर्ट टॉक एंड स्टूडिओं विज़िट के 9वें एपिसोड का लाइव आयोजन रविवार 4 जुलाई 2021 को किया गया। इस एपिसोड  में इस बार अतिथि कलाकार के रूप में नई दिल्ली से समकालीन युवा चित्रकार फणीन्द्र नाथ चतुर्वेदी और इनके साथ कला पर बातचीत के लिए नई दिल्ली से वरिष्ठ कला एवं फ़िल्म समीक्षक विनोद भारद्वाज रहे। यह कार्यक्रम ज़ूम मीटिंग पर लाइव किया गया।
कार्यक्रम के संयोजक भूपेंद्र कुमार अस्थाना ने बताया कि यह एपिसोड बहुत विशेष रहा जिसमे एक युवा चित्रकार के साथ वरिष्ठ कला समीक्षक की वार्ता हुई और दोनों ही अतिथि अपने अपने क्षेत्रों के प्रसिद्ध और विशेष हैं।  चित्रकार फणीन्द्र नाथ चतुर्वेदी मूल रूप से उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले के एक गांव के रहने वाले हैं। फणीन्द्र पिछले लगभग 15 - 20 वर्षों से समकालीन कला के क्षेत्र में एक सजग और सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं। फणीन्द्र नाथ चतुर्वेदी इस कला संवाद के माध्यम से अपनी अब तक की कला यात्रा और कला पर विस्तार पूर्वक बातें साझा कीं और अपनी कलायात्रा की एक वीडियो भी साझा किया। वरिष्ठ कवि , कला एवं फ़िल्म समीक्षक विनोद भारद्वाज ने फणीन्द्र से उनकी कला पर कई प्रश्न किये जिसमे उनकी अबतक की कला यात्रा, रचना, रचना प्रक्रिया और माध्यम, विषय रहे। जिसका उत्तर भी फणीन्द्र ने बड़ी ही सरलता, सहजता से दिया। हालांकि भारद्वाज फणीन्द्र से काफी समय से सम्पर्क में रहे हैं। उनके चित्रों को अपनी कई पुस्तकों में स्थान दी है। फणीन्द्र और विनोद भारद्वाज दोनों ने ही लखनऊ में काफी वक्त बिताया है। उस वक्त और अनुभवों को भी दोनों ने याद किये। फणीन्द्र 2005 में लखनऊ कला महाविद्यालय से कला में मास्टर्स पूर्ण किया उसके बाद वे गुणगांव, नई दिल्ली एन सी आर में रह रहे हैं। और रहते हुए लगातार सार्थक कला कर्म कर रहे हैं। साथ ही देश और विदेशों में बड़ी संख्या इनके चित्रों की प्रदर्शनी निरंतर लग रहीं हैं और अपने इस कम समय मे एक अच्छी पहचान स्थापित की है। 

कलाकार के लिए साधना, एकाग्रचित्त और दृढ़ता जरूरी है-फणीन्द्र | #NayaSaberaNetwork








  बातचीत के दौरान फणीन्द्र ने बताया कि घर मे बचपन से ही कला और साहित्य का माहौल मिला। साहित्य का ज्यादा रहा। लखनऊ मेरी पहली कर्मभूमि है। यहीं से मेरी कला यात्रा शुरू हुई है। लखनऊ ने मेरे कलाकार होने की पहचान दी है। पारिवारिक समस्याओं के चलते कला शिक्षा के लिए कहीं दूर नहीं जाना हुआ जिसके कारण लखनऊ नज़दीक होने के कारण यहीं दाखिला लिया। मेरे परिवार, माता पिता, भाई का बहुत बड़ा सपोर्ट मिला। और लखनऊ में मेरे कला गुरु श्री जय कृष्ण अग्रवाल ने भी मुझे बहुत प्रोत्साहित किया। कोई रचनात्मक व्यक्ति बनने के लिए उस व्यक्ति के एक यात्रा जरूरी है। एक कलाकार के लिए संघर्ष भी जरूरी होता है लेकिन मुझे कभी महसूस नहीं हुआ। इसके लिए मेरा साहित्यिक परिवार से होना ज्यादा मायने रखता है। एक कलाकार को साधनारत, एकाग्रचित्त और दृढ़ता जरूरी है तभी वह कुछ रच सकता है। मेरे काम मे एक धैर्य की बड़ी जरूरत है। मैं शुरु से कागज़, पेंसिल और पेन में सहजता पूर्ण काम करना सहूलियत रही है। मैंने माध्यम को लेकर कभी ज्यादा नहीं सोचा। लेकिन समयानुसार अपने कला में प्रयोग किया और विभिन्न माध्यमों में काम किया। मै धैर्यपूर्वक इसलिए भी काम कर लेता हूँ कि मैं कार्य प्रारंभ से पूर्ण होने के बीच की रचना प्रक्रिया को बहुत आनंद और रोचकता के साथ करता हूँ जिससे काम करने में भी मज़ा आता है। मै 2006 से अपने कला भाषा और शैली की शुरुआत कर दी थी। पहले कम संसाधन की उपलब्धता के कारण पेपर्स को जोड़ जोड़ करके अनेकों रचनाएं की है लेकिन अब ऐसी कोई समस्या नहीं अब बड़े बड़े पेपर और प्रयोगों, माध्यमों में काम कर रहा हूँ। वर्तमान के काम के पीछे मेरे पीछे की एक यात्रा है। बनारस, लखनऊ और दिल्ली जैसे स्थानों का एक बड़ा अनुभव भी मेरे चित्रों में देखा जा सकता है। जो प्रकृति से लगाव और आधुनिकता का प्रभाव दोनों एक साथ हैं। 2012 और 13 से एक नया अध्याय शुरू हुआ जिसमें रंग बिरंगी तितलियाँ, और कारपोरेट सेक्टर के लोग तमाम एलिमेंट्स जुड़ गए। इस समय तक मुझे स्पेस को लेकर एक आत्मविश्वास आ गया था। 2018 से एक विजुअल नैरेशन और एक स्पेस भी आगया मेरे चित्रों में। फणीन्द्र ने बताया कि मैं सारा कुछ बहुत ही सहजता और सरलतापूर्वक करता हूँ। जो भी विचार मेरे मन मे आते हैं उन्हें पेपर के धरातल पर उतार देता हूँ। मैं अपने जीवन मे बहुत व्यवस्थित तरीके से रहता हूँ जिसका प्रभाव मेरे चित्रों के संयोजन में भी नज़र आता है एक साइंटिफिक रूप से। फणीन्द्र कहते हैं कि जिसके साथ काम करना होता है उसके साथ एक सम्बंध स्थापित करना होता है एक तालमेल बनाना पड़ता है जैसा कि मैंने पेपर,पेन, पेंसिल अथवा अन्य माध्यमों के साथ किया और कर रहा हूँ। फणीन्द्र के एक चित्र मोनालिसा जो वर्तमान से जोड़ती है। उनका मानना है कि एक रचनाकार हमेशा आइसोलेशन में ही रहता है और निरंतर रचना प्रक्रिया में शामिल रहता है। प्रकृति हमे हमेशा सचेत करती है।
भूपेंद्र कुमार अस्थाना 
आर्टिस्ट एंड क्यूरेटर 
लखनऊ
7011181273, 9452128267

*Ad : ◆ सोने की खरीददारी पर शानदार ऑफर ◆ अब ख़रीदे सोना "जितना ग्राम सोना उतना ग्राम चांदी फ्री" ऑफर के साथ ◆ पूर्वांचल के सबसे प्रतिष्ठित ज्वेलरी शोरूम "गहना कोठी" से एवं पाए प्रत्येक 5000 तक की खरीद पर लकी ड्रॉ कूपन भी ◆ जिसमें आप जीत सकते हैं मारुति सुजुकी एर्टिगा ◆ मारुति सुजुकी स्विफ्ट एवं ढेर सारे उपहार ◆ तो देर किस बात की ◆ आज ही आएं और पाएं जबरदस्त ऑफर ◆ 1. हनुमान मंदिर के सामने, कोतवाली चौराहा, 9984991000, 9792991000, 9984361313 ◆ 2. सद्भावना पुल रोड नखास, ओलन्दगंज, 9838545608, 7355037762*
Ad


*Ad : जौनपुर का नं. 1 शोरूम : Agafya furnitures | Exclusive Indian Furniture Showroom | ◆ Home Furniture ◆ Office Furniture ◆ School Furniture | Mo. 9198232453, 9628858786 | अकबर पैलेस के सामने, बदलापुर पड़ाव, जौनपुर - 222002*
Ad

*AD : Prasad Group of Institutions | Jaunpur & Lucknow | ADMISSION OPEN 2021-22 | MBA, B.Tech, B.Pharm, D.Pharm, Polytechnic | B.Pharm, D.Pharm & Polytechnic Contact Us 7408120000, 9415315566 | B.Tech, MBA Contact Us 9721457570, 9628415566 | Punch-Hatia, Sadar, Jaunpur, Uttar Pradesh | www.pgi.edu.in*
Ad



from Naya Sabera | नया सबेरा - No.1 Hindi News Portal Of Jaunpur (U.P.) https://ift.tt/3jICI1Z

Post a Comment

0 Comments