नया सबेरा नेटवर्क
मुंबई।।।।।शरद पूर्णिमा के शुभ अवसर पर अखिल भारतीय कर्मावती जन्म धाम प्रबंध एवं विकास महासभा गढ़मौरा, तहसील नादौती, जिला करौली, जयपुर राजस्थान के तत्वाधान में माता सती नारायणी के प्रांगण में बुधवार दिनांक 20 अक्टूबर 2021 को राष्ट्रीय कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया, जिसकी अध्यक्षता जबलपुर मध्य प्रदेश के वरिष्ठ साहित्यकार, गीतकार अंजानदास माथुरकर ने की। मंच का भव्य संचालन मुंबई महानगर के वरिष्ठ साहित्यकार,कलमकार,कवि, पत्रकार विनय शर्मा दीप ने अपने तेवर में मां सरस्वती की वंदना एवं मां कर्मावती की वंदना के साथ राष्ट्रीय कवि सम्मेलन का शुभारंभ किया। आमंत्रित साहित्यकारों में सुप्रसिद्ध कवयित्री नमिता "नमन" -दिल्ली, ग़ज़लकार,साहित्यकार हरर्वेंद्र सरल फर्रुखाबादी-जबलपुर, वरिष्ठ गीतकार निरंजन सेन- जबलपुर,गीतकार साहित्यकार, व्यंग्यकार एडवोकेट अनिल शर्मा- मुंबई,महाराष्ट्र आदि उपस्थित थे। उक्त कवि सम्मेलन में मुख्य अतिथि के रूप में मनोबल, हौसला और उत्साहवर्धन हेतु कर्मावती जन्म धाम के भक्तों के साथ जबलपुर से श्रीमती लता माथुरकर एवं श्रीमती आशा सेन उपस्थित थीं। कोच्चि सभी कवियों को संस्था द्वारा प्रतीक चिन्ह साल एवं राजस्थानी पगड़ी से सम्मानित किया गया। उपस्थित कवियों द्वारा पढ़ी गई सराहनीय पंक्तियां कुछ इस तरह से रही---
कवयित्री नमिता नमन अपने मुक्तक से मंत्रमुग्ध कर दिया--
झील सी आँख है तेरी खिला सा इक कमल हो तुम।
सुनो तो शब्द की सरिता मधुर सी इक गजल हो तुम।
लहरते केश बादल से नयन हैं तीर से तेरे।
बनी तुम रात की रानी यकीं निशा नवल हो तुम।।
गीतकार निरंजन सेन के भी मुक्तक कुछ कम नहीं रहे---
क़ागज़ की हम छतरी लेकर,अरमानों की बारिश में।
बेअंज़ाम चले हैं घर से,इस दिल की फ़रमाइश में।
भूल गई है नदिया जैसे बाढ़ में अपनी सीमा को।
उसी तरह हम भूल गए हैं,सब कुछ आज नुमाइश मेंं।।
कवि गीतकार विनय शर्मा दीप ने कर्मावती माता की महिमा का गुणगान करते हुए कहा-----
कर्मावती माता,तेरी महिमा अपरंपार।
तेरी कृपा से धरती,करे सोलह श्रृंगार।।
जो तू न होती यहां,जयपुर शहर में,
खुशियां न दिखती कहीं नगर डगर में,
तुझको नमन वंदन, करूं मैं हजार।।
ग़ज़लकार हरर्वेंद्र सरल फर्रुखाबादी ने अपनी चंद पंक्तियों से लोगों के दिलों में जगह बनाई---
चांद तारों की छैंया तले,आके लग जा गले से गले।
देखनी हो जिसे भी वफा,वो पतंगों से जाकर मिले।।
मुंबई के एडवोकेट अनिल शर्मा ने कर्मावती धाम को समर्पित सुना कर खूब वाहवाही लूटी---
नाम को प्रणाम इनके काम को प्रणाम है।
पूज्यनीय कुलदेवी ग्राम को प्रणाम है।।
प्रणाम मां नारायणी प्रणाम सैनजी महाराज।
कर्मावती देवी के इस धाम को प्रणाम है।।
जबलपुर से सैन चालीसा के लेखक, गीतकार अनजान दास माथुरकर जीवन पर आधारित कविता पढ़कर तालियां बटोरी----
जीवन सुखी बिताना चाहो तो, रह जाओ कुंवारे।
आने वाले जितने संकट, टल जाएंगे सारे।।
अपने बीवी बच्चों का झगड़ा और ना कोई टंटा।
घर के बाहर रहो रात दिन, घूमो चौबीसों घंटा।।
अंत में आयोजक ने उपस्थित सभी साहित्यकारों,अतिथियों आभार प्रकट करते हुए धन्यवाद दिया और राष्ट्रीय कवि सम्मेलन के समापन की घोषणा की।
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