- 'सुरों से सराबोर शाम,प्रेम के नाम' सुरमयी रही संध्या- ऑनलाइन राष्ट्रिय पटल पर आयोजित हुए कई कार्यक्रम
- चार दिवसीय बहु-माध्यम कला शिविर का समापन, कलाकारों ने प्रस्तुत कीं कलाकृतियां।
नया सबेरा नेटवर्क
लखनऊ. 21 नवम्बर, 2021, सप्रेम संस्थान द्वारा 'सप्रेम दिवस' के चौथे दिन समापन समारोह पर चार दिवसीय बहुमाध्यम कला शिविर का समापन भी हुआ। देश के छः राज्यों से नौ कलाकार शामिल हुए थे , जिन्होंने शिविर के दौरान बनी कलाकृतियों को प्रस्तुत भी किया और अपने विचार भी साझा की। इस समापन समारोह में देश के वरिष्ठ कलाकार पद्मश्री श्याम शर्मा ,पटना (बिहार) मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए। उन्होंने कहा कि कला का रास्ता अध्यात्म का रास्ता है। यदि कलाकार अध्यात्म से जुड़कर कार्य करे तो उनकी कलाकृतियां एक अलग ही भाव प्रस्तुत करती हैं। कला का काम करना अलग है लेकिन कला साधक बनना मुश्किल होता है। कला ईश्वर से जोड़ती है। जहाँ कला का विकास नहीं हुआ वहां दुःख ही दुःख का प्रभाव होता है। कला संस्कृति एक मनुष्य और अच्छे समाज का निर्माण करती है। और आदर्श ,अनुशासन प्रदान करती है। कला हमेशा देने का भाव रखती है ,लेने कि नही। कला का नियमित सृजन से एक परमानन्द की प्राप्ति होती है। कला शिविर के सभी कलाकृतियां उत्कृष्ट हैं। निरंकारी संत श्री प्रेम नारायण लाल जी के इस कार्यक्रम में कला संगीत साहित्य का संगम होने से एक सफल , सार्थक आयोजन रहा। कला समीक्षक श्री अखिलेश निगम ने सभी कलाकारों की कलाकृतियों पर एक समीक्षत्मक टिप्पणी की कहा की इस शिविर के कलाकार और उनकी कृतियां इस बात का प्रमाण है की कलाकार बड़े ही तन्मयता के साथ श्री प्रेम नारायण लाल जी के विचारों से प्रेरित होकर रची है। यह आस्था का महत्वपूर्ण विषय है।
कार्यक्रम में हैदराबाद से विजय ढोरे, श्री अखिलेश निगम , गाज़ियाबाद से जय प्रकाश त्रिपाठी, महाराष्ट से अमित ढाने आदि कलाकार और कलाप्रेमी सम्मिलित हुए।
सप्रेम दिवस के कार्यक्रमों की श्रंखला में एक संगीत संध्या का आयोजन किया गया, जिसका शीर्षक था- 'एक शाम, प्रेम के नाम'। मुख्य अतिथि के रूप में दिल्ली घराना से ताल्लुक़ रखने वाले प्रसिद्ध ग़ज़ल गायक एवं संगीतकार श्री कैलाश खरे जी ने कार्यक्रम में शिरकत की और अपनी मधुर आवाज़ से शोभा बढ़ाई। उड़ीसा से जुड़े गायक श्री रविन्द्र गौड़ा जी ने भजन प्रस्तुत किया। नई दिल्ली से श्री विक्रम 'विक्की' और श्री हँसराज ने भी अपने अंदाज में सुरों से सराबोर किया। लखनऊ से बाँसुरी-वादक श्री मुकेश 'मधुर' जी ने बाँसुरी की तान छेड़ी, वहीं साहिल श्रीवास्तव एवं शुभम भारती जी न भी अपने साथियों सहित सुन्दर समां बांधने में सफल रहे। जहाँ एक ओर नोएडा से भारतीय नौ-सेना से सेवानिवृत्त श्री कौशल श्रीवास्तव जी ने अपनी भावभीनी रचना से सबको भाव-विभोर किया वहीं सप्रेम संस्थान के कोऑर्डिनेटर इंजी. धर्मेन्द्र अस्थाना ने भी अपने ग़ज़ल से सभी को अभिभूत किया। कार्यक्रम का कुशल मंच-संचालन लखनऊ आकाशवाणी की सुप्रसिद्ध आर. जे. और वेब-रेडियो जंक्शन की मैनेजिंग डायरेक्टर श्रीमति शालिनी सिंह जी ने अपने अनूठे अंदाज़ में किया। अंत मे सप्रेम संस्थान के अध्यक्ष डॉ. पुष्पेंद्र अस्थाना ने देशभर से ऑनलाइन माध्यम से जुड़े सज्जनों का हार्दिक आभार प्रकट किया।
सप्रेम संस्थान के अध्यक्ष डॉ पुष्पेंद्र अस्थाना ने बताया की इस चार दिवसीय भव्य आयोजन में देश के अनेकों प्रांतों से कलाकार , कवि,साहित्यकार,संत प्रेमी लोग शामिल होकर सामाजिक एवं आध्यात्मिक चिंतक निरंकारी संत श्री प्रेम नारायण लाल के पांचवीं पुण्यतिथि पर अपने अपने विचारों में हार्दिक श्रद्धांजलि अर्पित किये। आयोजक सदस्य धर्मेंद्र अस्थाना ने बताया की कला ,साहित्य ,संगीत और आध्यात्मिक ऑनलाइन सत्र अनेकों कार्यक्रम आयोजित किये गए बहुमाधयम कला शिविर,काव्य-गोष्ठी,परामर्श सत्र परिचर्चा,संगीत संध्या,आध्यात्मिक सत्संग के साथ साथ डॉ पुष्पेंद्र अस्थाना द्वारा लिखित किताब " संत श्री प्रेम नारायण लाल जी " के जीवन पर आधारित किताब का कवर भी लोकार्पण किया गया। जिसे जल्द ही प्रकाशित किया जायेगा।
- भूपेंद्र कुमार अस्थाना
क्यूरेटर , लखनऊ
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