#JaunpurLive : मुग़लकाल में निर्माण बरगुज़र पुल की अनकही कहानी




अजवद क़ासमी
जौनपुर:- शिराज़ ए हिन्द जौनपुर में मुगल काल के निर्माण तीन शाही पुल काफ़ी मशहूर हैं जिसमें से जलालपुर पुल और बर गुज़र पुल का प्रयोग अब नहीं होता है केवल नगर के शाही पुल (अकबरी पुल) आज भी जौनपुर की शान में चार चाँद लगाता है लेकिन साथ ही पुल पर उगे पेड़ पौधे,झाड़ झंकार के कारण ये गुहार लगा रहा है कि अगर मेरी ओर ध्यान नहीं दिया तो वह दिन दूर नहीं कि बर गुज़र पुल की तरह मेरा भी इस्तेमाल बंद करदिया जायेगा और मेरा अस्तित्व सिर्फ इतिहास के पन्नों में पढ़ने व देखने को मिलेगा।

प्रयागराज रोड पर जौनपुर शहर से लगभग 19 किलोमीटर दूर बने शाही बरगुज़र पूल को अकबर बादशाह के काल में मूनईम खान खाना के आदेश पर ख्वाजा दोस्त के लिये निर्माण करवाया गया था क्योंकि ख़्वाजा दोस्त मूनईम खान खाना के बहुत गहरे मित्र थे और मूनईम खान खाना अक्सर मामलात में ख़्वाजा दोस्त से मशविरा लिया करता था शाहीपुल,जलालपुर पुल,गुज़रपुल ये तीनों पुल ख्वाजा दोस्त की ही देख रेख में निर्माण कराया गया था।

ख्वाजा दोस्त अकबर के दौर के प्रख्यात विद्वान थे और परगना घिसवा (मछलीशहर) और आस पास के गाँव ख्वाजा दोस्त मनसबदार को बादशाह ने उनकी अच्छी कारगर्दगी के बिना पर जागीर में दिया था ख्वाजा को बाढ़ व बरसात के मौसम में आने जाने में परेशानी होती थी शाहीपुल का निर्माण कर रहे मज़दूरों को आदेश दिया गया कि वोह इस पुल के बचे हुए सामान से पुल गुज़र का निर्माण करें और ये पुल 977 हिज्री 1563 में बनकर तैयार हुआ और ख्वाजा ने पुल के पास ही एक कोठी बनवाई जिसके अवशेष आज भी मौजूद हैं 1830 में इस पुल का दो ताक़ टूट गया था मिस्टर डंकन बहादुर ने इसके निर्माण के लिये राजा शिवलाल दुबे को ज़िम्मेदारी दी मगर वोह पूरा नहीं करवा सके उसके बाद मिस्टर वलैंड बहादुर जज जौनपुर ने दोनों ताक़ की मरम्मत करवाई जिसके कारण ये पुल फ़िर अपनी हालत पर लौट गया।

ख्वाजा दोस्त ने अपने रहने के लिये नगर के मोहल्ला सिपाह में अपने नाम से एक मुहल्ला ख्वाजा दोस्त बसाया और एक पुख़्ता मकान बनवाया और ये मोहल्ला आज भी इसी नाम से आबाद है और अपने आस पास अपने अज़ीज़ों को आबाद किया आज भी उनके खानदान के लोग इस मुहल्ले में रहते हैं और जब ख्वाजा दोस्त का इंतेक़ाल हुआ तो जौनपुर के शहरीय क्षेत्र से हटकर फतहगंज और पुल गुज़र के बीच में लबे सड़क दफ़न किये गए उनकी क़ब्र पर एक पुख़्ता गुंबद निर्माण करवाया गया था जर्जर होने की अवस्था में याब इस पुल का इस्तेमाल नहीं होता है जबकि इसकी शान आज भी बाकी है जंगलों और खंडहरों से घिरे इस पूल को आज भी पर्यटकों के लिये आकर्षण का केंद्र बनाया जा सकता है।
Previous Post Next Post

Contact us for News & Advertisement

Profile Picture

Ms. Kshama Singh

Founder / Editor

Mo. 9324074534