पोषणीयता पर सुनवाई के लिये 22 मई तिथि नियत
जौनपुर। सिविल जज सीनियर डिवीजन कोर्ट में अटाला मजिस्द को अटाला माता मंदिर बताते हुए आगरा के अधिवक्ता अजय प्रताप सिंह ने उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड, प्रबंधन कमेटी अटाला मस्जिद के खिलाफ दावा पेश किया गया। इस पर न्यायालय ने दावा बतौर प्रकीर्ण वाद दर्ज करते हुये पोषणीयता पर सुनवाई के लिए 22 मई तिथि नियत किया। अधिवक्ता अजय ने बताया कि वाद संपत्ति अटाला मस्जिद मूल रूप से अटाला माता मंदिर है। ऐतिहासिक स्रोतों के अनुसार अटाला माता मंदिर का निर्माण कन्नौज के राजा जयचंद्र राठौर ने करवाया था। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के प्रथम निदेशक ने अपनी रिपोर्ट लिखा है कि अटाला माता मंदिर को तोड़ने का आदेश फिरोज शाह ने दिया था लेकिन हिंदुओं के संघर्ष के कारण मंदिर को तोड़ नहीं पाया जिस पर बाद में इब्राहिम शाह अतिक्रमण कर मंदिर का उपयोग मस्जिद के रूप में करने लगा। कलकत्ता स्कूल ऑफ आर्ट के प्रिंसिपल ईबी हेवेल ने अपनी पुस्तक में अटाला मस्जिद की प्रकृति व चरित्र को हिन्दू बताया है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के अनेक रिपोर्ट्स में अटाला मस्जिद के चित्र दिए गए हैं जिनमें त्रिशूल, फूल, गुड़हल के फूल, त्रिशूल आदि मिले हैं। वर्ष 1865 के एशियाटिक सोसाइटी ऑफ बंगाल के जनरल में अटाला मजिस्द के भवन पर कलश की आकृतियों का होना बताया गया है। अटाला मस्जिद ही अटाला माता मंदिर का मूल भवन है जो भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के अधीन एक संरक्षित स्मारक है और एक राष्ट्रीय महत्व का स्मारक है। इस सम्बन्ध में डीजीसी फौजदारी सतीश पांडेय ने बताया कि मुगल शासकों द्वारा सनातन धर्म को समाप्त करने के उद्देश्य से हिन्दू मंदिरों को तोड़कर उसी पर मस्जिद का रूप दे दिया गया। अन्य मंदिरों के साथ यहां की अटाला माता मंदिर को तोड़कर अटाला मस्जिद का नाम दे दिया जबकि मंदिर के अवशेष व आकृति आज भी मौजूद हैं।
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